प्रिय किसान भाईयों आपकी जानकारी के लिए बता दे की, आलू का उत्पादन में भारत तीसरे नंबर है तथा हमारे भारत देश में आलू को बहुत अधिक पसंद किया जाता है| आलू की खेती कंदवर्गीय सब्जी के रूप में की जाती है तथा आलू की खेती केरल और तामिलनाडु राज्यों को छोड़कर भारत में आलू की खेती लगभग सभी जगहों पर की जाती है| आलू में कई प्रकार के पोषण तत्व पाए जाते है जैसे की विटामिन सी, विटामिन बी, मेगनीज, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन यह सभी पोषण तत्व आलू में पाए जाते है|
अगर आप एक जागरूक किसान है और खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको आलू की ही खेती करनी चाहिए क्योंकि इसकी मांग भारतीय बजार में ज्यादा है जिसके कारण से इसका भाव भी काफी अच्छा है| इसी लिए यदि आप भी आलू की खेती करना चाहते है परंतु आपको इसकी खेती से संबंधी विस्तार जानकारी नही है तो फिर आपके लिए यह लेख बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आलू की खेती से जुडी जानकारी देंगे जैसे की : आलू की खेती क्या है ? आलू की खेती कैसे करे ? आलू की खेती में सिंचाई और निराई-गुड़ाई कब और कैसे करे ? आलू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी ? आलू की बुवाई का समय ? आदि की विस्तार जानकारी आपको यहां मिलेगी|
आलू की खेती क्या है ?
आलू की खेती रबी मौसम या फिर शरदऋतु में की जाती है इसकी उपज क्षमता समय के अनुसार सभी फसलों से ज्यादा है इसीलिए इसको अकाल नाशक फसल भी कहते है| आलू सब्जियों का राजा है आलू रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है आलू की मांग को देखते हुए इसके उत्पादन को बड़ाने की ओर ज्यादा जरूरत है इसीलिए जरूरी है की आलू परंपरागत खेती की बजाय आलू की वैज्ञानिक खेती की जाए|
आलू की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी ?
आलू की खेती के लिए समतल तथा मध्यम ऊंचाई वाले खेत ज्यादा उपयुक्त होते है इसके अलावा अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी तथा बलुई दोमट मिट्टी जिसका PH मान 6 से 7 के मध्य हो|
इसके अलावा यदि इसकी उपयुक्त जलवायु की बात करे तो, आलू की खेती के लिए ठंड का मौसम अर्थात रबी का मौसम काफी उपयुत है| भारत में इसकी खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है परंतु सर्दियों में गिरने वाला पाला इसके पौधे को हानि पहुंचता है| अधिक गर्मी जलवायु में भी इसके फल खराब हो सकते है जिस वजह से इसके पौधे को हल्की बारिश की आवश्यकता होती ताकि तापमान कम हो जाए| आलू के पौधे अधिकतम 25 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते है इससे अधिक का तापमान पौधे के लिए हानिकारक होता है|
आलू की उन्नत किस्म ?
आज के समय में अलग-अलग जगह पर अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए आलू की कई उन्नत किस्मो को तैयार किया गया है| परंतु आपको नीचे कुछ प्रमुख किस्म के आलू की ही जानकारी मिलेगी जो की भारत में काफी प्रसिद्ध भी है|
लेडी रोसेट्टा
जे एच 222
जे.ई.एक्स 166 सी.
कुफरी लवकर
कुफरी अशोक
कुफरी बहार
कुफरी चंद्रमुखी
कुफरी ज्योति
आलू की खेती कैसे करे और खेत कैसे तैयार करे ?
आलू की खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना है|
इसके लिए आपको मिट्टी के प्रकार के अनुसार खेत को 3 से 4 बार गहरी जुताई करे|
खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करे|
इसके बाद की जुताई देसी हल से करे|
प्रेत्येक जुताई के बाद पाटा जरूर चलाए ताकि मिट्टी भूरभरी तथा खेत समतल हो जाए|
इसके बाद उचित मात्रा में खाद दे|
इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खाली छुप लगने के लिए छोड़ दे|
ताकि मिट्टी में रहने वाले कीड़े खत्म हो जाए|
इससे बाद सभी समय आपने पर आलू के अच्छे किस्म की बुआवी करे|
बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई जल्दी करे ताकि नमी के कारण पौधे जल्दी बहार आने लगे|
इस खेती में आपक समय पर सिंचाई, खाद और खरपतवार देते रहना चाहिए|
एक सप्ताह के अंतराल में सिंचाई आवश्य करे|
आलू की बुवाई का समय ?
आलू की बुवाई का समय इसकी किस्म पर भी निर्भर करता है इसकी अच्छी उपज के लिए सितंबर से नवंबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है| यदि किस्म के अनुसार उसकी बुवाई समय पर नही करते है तो इसका प्रभाव आपको इसकी पैदावार में देखने को मिल सकता है|
आलू की खेती में सिंचाई और निराई-गुड़ाई कब और कैसे करे ?
पहली सिंचाई आलू की बुवाई के तुरंत बाद ही कर देनी चाहिए क्योंकि यदि आप पहली सिंचाई समय पर कर देते है तो इससे आलू अंकुरित जल्दी हो जाता है तथा आलू का पौधा जल्दी ही बहार आने लगता है| पहली सिंचाई के बाद बाकी अन्य सिंचाई 1 सप्ताह यानी 7 से 10 दिनों के अंतराल सिंचाई कर देनी चाहिए|
यदि हम इसकी खरपतावार की बात करे तो, इस फसल में निराई-गुड़ाई की आवश्यकता अधिक होती है| आदि आप अच्छा उत्पादन चाहते है तो फिर आपको इसकी खरपतवार महीने में 2 बार या फिर 15 से 20 दिनों के अंतराल में इसकी खरपतवार करवा लेना है|
इसकी खेती के लिए उपयुक्त खाद तथा उर्वरक ?
प्रिय किसान भाईयों आपकी जानकारी के लिए बता दे की, आलू की फसल फसल जमीन की ऊपरी सतह से ही भोजन प्राप्त करती है| इसीलिए इसे प्रचुर मात्रा में जैविक तथा रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है| इसके लिए इसकी बुवाई से पहले ही 250 से 300 कुंटल सड़ी गोबर की खाद या फिर 40 से 50 कुंटल वर्मी कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग कर जुताई करे|
आलू का प्रति हेक्टेयर उत्पादन ?
अच्छी किस्म के आलू की खेती लगभग प्रति हेक्टर पैदावार 200 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टर होता है जो लगभग 80 से 100 दिन में पक कर तैयार हो जाता है| इसकी पैदावार कई तत्वों पर भी निर्भर करता है जैसे की - किस्म, खाद, सिंचाई, जलवायु और मिट्टी आदि पर इसकी पैदावार निर्भर करती है|
आलू की खेती से कमाई ?
आलू का भाव बजार में 600 से 1200 रुपए प्रति कुंटल होता है जिससे किसान आलू की एक बार की फसल में 1.5 से 2 लाख रुपए तक की खेती आसानी से कर सकता है|