हमारे भारत देश में अंगूर की उत्पादकता पूरे विश्व में सर्वोच्च है तथा भारत में व्यवसायिक रूप से अंगूर की खेती पिछले लगभग 6 दशकों से की जा रही है| अंगूर की बागवानी लगभग पूरे भारत वर्ष में सभी क्षेत्रों में की जा सकती है आज के समय फलों की मांग दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है खास कर की अंगूर की क्योंकि अंगूर गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा खाया जाने वाला फल है अंगूर स्वादिष्ट तथा स्वस्थ के लिए बहुत लाभकारी होता है| यदि आप भी अंगूर की खेती करते है तो आप लाखो रुपए आसानी से कमा सकते है|
यदि आप बागवानी से अच्छा लाभ कमाना चाहते है तो फिर आपको अंगूर की खेती करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान समय अंगूर की मांग भारतीय बाजारों में काफी देखने को मिल रही है| इसके चलते इसके भाव में भी प्रभाव देखने को मिला है| यदि आपको इसकी खेती से जुडी विस्तार जानकारी नही है तो फिर आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको अंगूर की खेती से जुडी विस्तार जानकारी देंगे जैसे की अंगूर की खेती क्या है? अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी ? अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु ? अंगूर का पौधा कैसे लगाए ? अंगूर के रोपाई का समय ? अंगूर की बागवानी / खेती में सिंचाई कब और कैसे करे ? अंगूर की खेती / बागवानी में लागत तथा कमाई की विस्तार जानकारी ? अंगूर की तुड़ाई कब करनी चाहिए ? अंगूर की उन्नत किस्म ? आदि की विस्तार जानकारी आपको इसी पोस्ट में देखने को मिलेगी|
अंगूर की खेती क्या है?
भारत देश में अंगूर की खेती सबसे ज्यादा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगाना आदि कई राज्य इसमें शामिल है| अंगूर का उपयोग हमारे देश में मुख्यत ताजे फल के रूप में तथा मदिरा बनाए में किया जाता है| भारत में अंगूर एक महत्वपूर्ण उपोष्णकटिबंधीय फल वाली फसल है|
प्रिय किसान भाईयों आपकी जानकारी के लिए बता दे की, अंगूर की खेती के लिए सर्वोत्तम तापमान 28 से 32 डिग्री को अच्छा माना जाता है|
अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी ?
अंगूर की खेती लग-भग सभी प्रकार की मिट्टी में कि जा सकती है अंगूर की जड़ की सरचना लंबी तथा जमाव मजबूत होता है इसीलिए कंकरीली, रेतीली से चिकनी तथा उथली के अलावा गहरी मिट्टी में अच्छा पनपता है| यानी आप किसी भी मिट्टी में अंगूर की खेती आसानी से कर सकते है परंतु फिर आपको जल निकास की उचित व्यवस्था कर देनी है|
अंगूर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु ?
अंगूर की खेती के लिए गर्म, अर्धशुष्क तथा दीर्घ ग्रष्म ऋतु वाला मौसम अनुकूल रहती है परंतु अधिक तापमान हानि पहुंचा सकता है अंगूर की खेती के लिए 25 से 30 डिग्री तक का तापमान उचित माना जाता है| जलवायु का फल के विकास तथा पके हुए अंगूर की बनावट और गुणों पर काफी असर पड़ता है|
अंगूर की उन्नत किस्म ?
प्रिय किसान भाईयों किसी भी फसल के अधिक लाभ लेने के लिए आवश्यकता है की उन्नत किस्म का प्रयोग किया जाए| भारतीय बाजारों में अंगूर के कई किस्म उपलब्ध है|
अरका श्याम
अरका मिल मणि
गुलाबी
अरका राजसी
अरका कृष्ण
अंगूर के रोपाई का समय ?
अंगूर के कलमो का रोपाई का सबसे अच्छा समय जड़ वाली कलमो के लिए जनवरी से फरवरी तथा बिना जड़ वाली कलमो की रोपाई का समय अक्टूबर माह है| अंगूर के बेलो को मध्य जनवरी से मध्य फरवरी तक अंकुरण होने के पहले लगा देनी चाहिए|
अंगूर का पौधा कैसे लगाए ?
अंगूर की बागवानी के लिए गड्डे की तैयारी करीब 50*50*50 सेंटीमीटर आकार के गड्डे खोदकर तैयार करते है एक सप्ताह खुला छोड़ दे फिर अंगूर का पौधा लगाते समय गड्डे में सड़ी गोबर की खाद, 250 ग्राम नीम की खली, 50 ग्राम सुपर फास्फोरस तथा 100 ग्राम पोटेशियम सल्फेट प्रति गड्ढे मिलाकर भर देवे|
अंगूर की खेती में कौनसा खाद देना चाहिए ?
अंगूर की खेती को काफी मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है खेत की भूमि की उर्वरता बनाए रखन के लिए लगातार अच्छी गुणवक्ता वाली फसल लेने के लिए यह आवश्यक है की खाद उर्वरक द्वारा पोषक तत्वों की पूर्ति की जाए| वर्षा हेतु बेल में लगभग 600 ग्राम नाइट्रोजन, 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश, 650 ग्राम पोटेशियम सल्फेट तथा 60 से 70 किलोग्राम गोबर की खाद की आवश्यकता होती है|
अंगूर की बागवानी / खेती में सिंचाई कब और कैसे करे ?
अंगूर की बेल को सिंचाई आवश्यक हो जाती है विकास के विभिन्न चरणों के दौरान बेलों को पानी की आवश्यकता अलग-अलग होती है| बेरी बढ़ने के पड़ाव के दौरान 5 से 7 दिनों के अंतराल पर अंगूर की बेल पर सिंचाई की करे फलों की गुणवक्ता में सुधार करने के लिए फसल कटाई से पहले कम कम 8 से 10 दिनों के लिए पानी को रोका जाता है|
गर्मियों की छटाई के बाद 40 से 50 दिनों के दौरान अत्यधिक सिंचाई नही करनी चाहिए क्योंकि वनस्पति विकास के संवर्धन द्वारा यह फूल बीजारोपण पर उल्टा प्रभाव डालती है| फुल खुलने से लेकर बेरी के मटर साइज के आकार तक लगातार तथा भारी सिंचाई से भी बचना चाहिए क्योंकि वे कोमल फफूदी रोग जैसे समस्या को बड़ा देती है|
अंगूर की तुड़ाई कब करनी चाहिए ?
अंगूर की तुड़ाई उस समय करनी चाहिए जब अंगूर के गुच्छे पूरी तरह से पक जाए| फलों का पकना वांछित टीएसएस तथा आम्लता के अनुपात से माप जाता है जो की 25 से 35 के बीच रहता है| किसानों को अंगूर की तुड़ाई करते समय इस बात का ध्यान रखना है की इसकी वास्तविकता न बिगड़े| अंगूर के गुच्छे को बेल से तोड़ने के लिए तेज केंची का उपयोग करना चाहिए| इसके अलावा अपको इसका भी ध्यान रखना है की तोड़ाई हमेशा सुबह या फिर शाम में करे|
अंगूर की खेती / बागवानी में लागत तथा कमाई की विस्तार जानकारी ?
अंगूर की खेती में लागत कई मापदंडों पर निर्भर करती है जैसे की कलम का लागत, खेती के लिए खाद, रोग के निवारण के लिए दवाई आदि पर लागत निर्भर करती है| हमारे भारत देश में अंगूर की ओसत पैदावार 30 टन प्रति हेक्टेयर है जो विश्व में सर्वाधिक है| पैदावार किस्म, जलवायु, मिट्टी पर निर्भर होती है लेकिन उपरोक्त वैज्ञानिक तकनीकी से खेती करने पर एक पूर्ण विकसित बाग से अंगूर की 30 से 50 टन पैदावार प्राप्त हो जाती है|
यदि हम अंगूर की खेती से कमाई की बात करे तो, यह निर्भर करता है की अंगूर के भाव क्या चल रहे है| भारतीय बाजारों में इसका भाव कम से कम 50 रुपए किलो तो होता ही है| इसके अनुसार आप 15 लाख रुपए कुल आमदानी होती है इसमें से अधिकतम 5 लाख रुपए का खर्च भी मान एल तो फिर भी आपको 10 लाख रुपए का शुद्ध लाभ हो रहा है|