हमारे भारत देश में उगाई जाने वाली दलहनी फसलों में अरहर का चने के बाद दूसरा स्थान खरीफ दहलनी फसल में अरहर का विशेष स्थान है| अरहर को हिंदी में तुअर भी कहा जाता है अरहर को पंजाबी में हरहर खाते है अरहर की खेती बहुत से किसान भाईयों करते है जो किसान तुअर की खेती करना चाहते है उसके लिए जून के अंतिम सप्ताह बुवाई के लिए उपयुक्त है|
यदि आप एक जागरूक किसान है और खेती से अच्छा लाभ कमाना चाहते है तो फिर आपको तुअर की खेती करना चाहिए| यदि आपको इसकी खेती करने की खास जानकारी नही है तो फिर आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम आपको तुअर की खेती से जुडी विस्तार देंगे जैसे की तुअर की खेती क्या है ? तुअर के प्रमुख किस्म की जानकारी ? तुअर की खेती करने के लिए उचित जलवायु ? तुअर / अरहर की खेती कैसे करे ? तुवर की बुवाई का सही समय क्या है ? खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और मिट्टी का पी.एच. मान ? तुअर खरपतवार नियंत्रण कब और कैसे करे ? तुअर की खेती में खाद तथा उर्वरक की सही मात्रा ? आदि की विस्तार जानकारी आपको यहां इस लेख में देखने को मिलेगी|
तुअर की खेती क्या है ?
हमारे शरीर के लिए प्रोटीन बहुत ही लाभदायक होता है यदि मानव शरीर को उपयुक्त मात्रा में प्रोटीन न मिले तो इससे शरीर का मानसिक और शरारिक विकास पूरी तरह से रुक जाता है| अरहर की दाल प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जाता है अरहर की दाल में लगभग 20 से 25 % तक का प्रोटीन पाया जाता है| भारत तथा दक्षिण अफ्रीका को अरहर दाल का जन्म स्थान कहा जाता है| अरहर ( तुअर दाल ) का बाजारी भाव भी काफी अच्छा होता है जिससे किसान अरहर की खेती कर अच्छी कमाई भी की जा सकती है|
हमारे भारत देश के किसान भाईयों वर्षो से ही अरहर की खेती के साथ बाजरा, उर्द, कपास और ज्वार को उगाते चले आ रहे है| भूमि कटाव को रोकने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अरहर की खेती को करने को सिफारिश की जाती है| हमारे भारत के उत्तर प्रदेश में अरहर की खेती को लगभग 20% के क्षेत्रों में उगाया जाता है इसके अलावा भी कई राज्यो में इसकी खेती की जाती है|
तुअर की खेती करने के लिए उचित जलवायु ?
तुअर तथा अरहर के पौधे नम तथा शुष्क जलवायु वाले होते है इसके पौधे की अच्छी वृद्धि के लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है| ऐसे जलवायु में पौधे में लगने वाले फूल, फली और दोनो का विकास भी अच्छी से होता है| 75 से 100 सेंटीमीटर बारिश वाले क्षेत्रों में इसकी खेती को किया जा सकता है|
फूल आने तथा फसल के पकने के समय चमकीली धूप की आवश्यकता होती है फूल आने के समय पाला व मौसम तथा अधिक वर्षा फसल को हानि करती है|
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और मिट्टी का पी.एच. मान ?
तुअर की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है बलुई दोमट से मटियार दोमट, उर्वर व उत्तम जल निकास युक्त भूमियों में अरहर की खेती करना उचित रहता है| इसकी खेती के लिए चयनित मिट्टी का पी एच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए| इसके अलावा इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी की व्यवस्था कर लेनी है|
तुवर की बुवाई का सही समय क्या है ?
तुवर की बुवाई समय पर ही करनी चाहिए इसकी बुवाई जून से जुलाई के बीच ही कर देनी चाहिए जब बरसात का मौसम आने वाला हो| इसके वाला तुवर की बनवा का समय उसके किस्म के ऊपर भी निर्भर करता है की तुअर किसी प्रजाति की है|
अरहर की उन्नत किस्म ?
अरहर की कई किस्म पाई जाती है परंतु प्रमुख किस्म की जानकारी नीचे दी गई है|
दुर्गा ए प्रगति
पूसा अगेती
पूसा 855
जाग्रति
आजाद
उपास 120
जवाहर अरहर
पूसा 9
तुअर / अरहर की खेती कैसे करे ?
यदि आप तुअर से अच्छी खासी पैदावार चाहते है तो फिर आपको इसकी बुवाई सही समय और सही विधि से करनी होगी अन्यथा आपको अच्छी पैदावार नही मिल पाएगी|
इसकी खेती के लिए आपको सबसे पहले खेत को 2 से 3 बार अच्छे से जुताई करवा लेना है|
फिर इसमें 2 से 3 गाड़ी सड़ी गोबर की खाद डालकर अच्छे मिला ले|
ध्यान रखिए इस खेती में खाद की आवश्यकता ज्यादा होती है|
जब आप खाद डाल देते है तो फिर आपको खेत को कुछ दिनों के लिए खाली छोड़ देना चाहिए|
जब बुवाई का समय आए तो बुवाई के 1 सप्ताह पूर्व खेत की जुताई करे|
इसके बाद आपको पाटा की मदद से खेत को समतल कर लेवे|
इससे आपको जल निकासी की समस्या नही आएगी|
इस फसल की देख-रेख करने आवश्यकता ज्यादा होती है|
इस फला में आपको रोकधाम, जलनिकासी तथा खरपतवार पर विशेष ध्यान रखना है|
तुअर की खेती में खाद तथा उर्वरक की सही मात्रा ?
यदि आप तुअर की अच्छी पैदावार करना चाहते है तो उसके लिए आपको 10 से 15 किलोग्राम नत्रजन, 40 से 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 20 किलोग्राम सल्फर की आवश्यकता होती है| इसके अलावा आप सिंगल सुपर फास्फोरस प्रति हेक्टेयर 250 किलोग्राम या 100 किलोग्राम डाई अमोनियम फास्फेट तथा 20 किलोग्राम सल्फर पंक्तियों में बुवाई के समय चोंगा या फिर नाई का उपयोग करना चाहिए| जिससे उर्वरक के बीज का आपस में संपर्क न हो सके|
तुअर खरपतवार नियंत्रण कब और कैसे करे ?
खरीफ की फसल में खरपतवारो की बड़वार लगभग 3 सप्ताह में काफी हो जाती है जिससे अरहर की वानस्पतिक वृद्धि बुरी तरह से प्रभावित होती है| तुअर की 20 से 60 दिनों की अवस्था बहुत क्रांतिक है जब फसल को खरपतवार मुख्य रखना चाहिए| अरहर के उत्पादन में 20 से 40% तक कमी खरपतवार द्वारा होती है अरहर में दो बार निंदाई गुड़ाई 25 से 30 दिन के अंतराल में करवा लेनी चाहिए|
प्रति एकड़ अरहर की उपज कितनी होती है ?
अरहर फसल की उपज एक एकड़ खेत से 9 से 10 कुंटल तक होती है यदि आप अधिक पैदावार प्राप्त करना चाहते है तो आपको एक उत्कृष्ट किस्म की फसल का उपयोग करना चाहिए| जो रोग प्रतिरोधी उच्च उत्पादकता वाली त्तहा उन्नत हो| इस खेती से आप लाखो रुपए कमा सकते है क्योंकि इसकी मांग के कारण से भाव भी ज्यादा है|