अमरूद का वैज्ञानिक नाम सिडियम ग्वाजावा है, यह मिर्टेंसी कुल का पौधा है जो सिडियम वंश के अंर्तगत आता है| अमरूद में Vitamin A, Vitamin B और Vitamin C की मात्रा अधिक पाई जाती है इसके अलावा इसमें कैल्शियम, आयरन तथा फास्फोरस भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है| हमारे भारत देश में अमरूद की खेती सबसे ज्यादा तमिलनाडु, बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश आदि राज्यो में अमरूद की खेती सर्वाधिक होती है|
किसान अमरूद की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है क्योंकि इसकी मांग भारतीय बाजार तथा मंडीयों में अधिक है जिसके करण इसका भाव भी काफी अच्छा है| यदि आप खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो फिर आपको अमरूद की खेती ही करना चाहिए यदि आपको इसकी खेती से जुडी जानकारी नही है तो फिर आपके लिए यह लेख महत्वपूर्ण होने वाला है क्योंकि इस लेख में हम अमरूद की खेती से संबंधित विस्तार जानकारी देंगे जैसे की - अमरूद की खेती के लिए उचित समय ? खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी तथा जलवायु ? अमरूद की प्रमुख उन्नत किस्म ? अमरूद की खेती कैसे करे ? सिंचाई करने के विधि आदि की विस्तार जानकारी आपको यहां मिलेगी|
अमरूद की खेती के लिए उचित समय ?
यदि आप अमरूद की बागवानी तैयार करना चाहते है तो आपको अमरूद के पौधे को बारिश में जुलाई तथा अगस्त माह में लगाना चाहिए इसके अलावा यदि आपके पास सिंचाई की उचित व्यवस्था हो तो आप इसकी खेती फरवरी तथा मार्च के मध्य भी कर सकते है| यदि आप बागवानी से अच्छी पैदावार प्राप्त करना चाहते है तो फिर आपको इसकी बुवाई उचित समय पर ही करनी है अन्यथा आपको पैदावार में फर्क दिखाई दे सकता है|
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी तथा जलवायु ?
अमरूद की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है तथा इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है परंतु इसके पौधे पर उकठा रोग लगने का खतरा ज्यादा होता है इसीलिए इसकी खेती में भूमि का पी.एच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए|
इसके अलावा अब यदि हम इसकी जलवायु की बात करे तो, अमरूद का पौधा उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाला होता है तथा इसकी खेती के लिए अधिक शुष्क और अर्ध शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है| अमरूद के पौधे अधिकतम 30 डिग्री तथा न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस तापमान को ही सहन कर सकता है तथा पूर्ण विकसित पौधा 44 डिग्री तक का तापमान को भी सहन कर सकता है|
अमरूद की खेती कैसे करे ?
अमरूद की खेती आप रोपाई बीज तथा पौधा दोनो ही तरीके से इसकी खेती कर सकते है परंतु खेत में बीजों की रुपाई के अपेक्षा पौधा रोपाई से ज्यादा पैदावार प्राप्त की जा सकती है, इसके पौधे आपको नर्सरी में भी तैयार कर सकते है| सही विधि से खेती करने के लिए कृपया नीची दिए गए चरणों का पालन करे|
सबसे पहले आपको उच्च भूमि वाली नर्सरी का चयन कर लेना है|
इसके बाद आपको नर्सरी में अमरूद के प्रमाणित बीजों को सही विधि से लगा देना है|
बीज बुवाई से पूर्व आपको उसे उचित मात्रा में खाद देना है|
लगभग 7 से 10 दिनों के मध्य बीज पूरी तरह से अंकुरित हो जाएंगे|
इस बीच आपको खाद, सिंचाई और खरपतवार पर विशेष ध्यान देना होगा|
नर्सरी में अमरूद का पौधा लगभग 1 से 2 माह में पूरी तरह से तैयार हो जाएगा|
जब पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाए तब आपको इसे खेत में लगा देना है|
सिंचाई करने की विधि ?
जानकारी के अनुसार अमरूद का पौधा शुष्क जलवायु वाला होता है इसलिए इसकी फसल को सिंचाई की कम जरूरत होती है| अमरूद की खेती को गर्मी के मौसम में सिंचाई 3 से 4 दिनों के अंतराल में कर देनी है अन्यथा पौधा सूखने की समस्या रहती है तथा सर्दी के मौसम इसके पौधों को 10 से 15 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना चाहिए|
अमरूद की प्रमुख उन्नत किस्म ?
यदि आप अमरूद की बागवानी करना चाहते है तो इसके लिए उन्नत किस्म का चुनाव करना जरूरी है अमरूद की किस्म का चुनाव सदैव जलवायु, मिट्टी तथा बाजार को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए| अमरूद की उन्नत किस्म में ललित, श्वेत, अर्का मृदुला, इलाहाबादी सफेद, अर्का किरण प्रमुख है|
अमरूद की खेती में खरपतवार नियंत्रण ?
यदि आप अमरूद की खेती कर रहे तो फिर आपको इसमें खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना होगा तथा इसके लिए निराई - गुड़ाई विधि का इस्तमाल किया जाता है| इस खेती में शुरआती समय में पौधे को अधिक देख-रेख जरूरत होती है और इसकी पहली गुड़ाई को पौधों रोपाई के 1 माह के बाद करना होता है| जब अमरूद का पौधा पूरी तरह से पड़ा हो जाए तब पेड़ो के बीच में जुताई कर दी जाती है जुताई से खेत में खरपतवार जन्म नही लेते है|
अमरूद की खेती में खाद डालने की उचित मात्रा तथा समय ?
फॉस्फोरस तथा पोटाश की संपूर्ण मात्रा और यूरिया की आधी मात्रा जुलाई में तथा यूरिया की शेष मात्रा सितम्बर में देनी चाहिए| 10 वर्ष से अधिक उम्र के पौधे के लिए 50 किलोग्राम रूडी, 1000 ग्राम यूरिया, 2500 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 1500 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति पौधे के हिसाब से डालनी चाहिए|
अमरूद में लगने वाले रोग तथा इलाज ?
अमरूद में रोग का प्रकोप कम होता है तथा इसकी खेती में लगने वाले प्रमुख रोग में उकठा, छाल भक्षक इल्ली प्रमुख है| यदि अमरूद के पौधे में किसी प्रकार का रोग लग जाए तो फिर समय पर कीटनाशक दवाई का छिड़काव करवा लेना है|
अमरूद की तुड़ाई तथा उपज ?
अमरूद में फुल आने के 120 से 140 दिनों बाद अमरूद के फलों की तुड़ाई की जाती है उस समय फल हरे से हल्के पीलेपन पर आ जाते है| एक पौधे से साल में करीब 400 से 600 फल लिए जा सकते है जिनका वजन 125 से 150 ग्राम तक होता है|
अमरूद की खेती लागत तथा कमाई ?
अमरूद की खेती से प्रति हेक्टेयर 8 तन से लेकर 15 टन तक उत्पादन मिलता है| बाजार में अमरूद की बिक्री में किसी भी प्रकार की समस्या नही आती है| किसान को प्रति हेक्टर अमरूद की बागवानी से 2 से 3 लाख तक की कमाई हो सकती है|