जामुन भारत में ही नही बल्कि पूरे विश्व में पाए जाने वाला फल है जिसका जिक्र आयुर्वेद के अनुसार यूनानी तथा चीनी दवाओं की पद्धति में बड़े पैमाने पर जामुन के स्वास्थ्य के लाभों के बारे में बताया गया है| जमीन की विभिन्न घरेलू नामों जैसे जमाली, ब्लैकबेरी, राजमन, काला जामुन आदि नाम से जाना जाता है| वैसे तो जामुन का सम्पूर्ण वृक्ष उपयोगी होता है परंतु खाने के रूप में लोग इसके फलों को खाना ज्यादा पसंद करते है तथा इसके फलों का जैम, शरबत और शराब बनाने में भी उपयोग लिया जाता है| आपकी जानकारी के लिए बता दे की, जामुन फल का रंग काला होता है और गुदा गहरे लाल रंग दिखाई देता है.
यदि आप जामुन की खेती करने का मन बना रहे है तो इस लेख में हम आपको जामुन की खेती से संबंधित कई आवश्यक जानकारी देंगे जैसे की - जामुन की खेती से जुडी जानकारी ? जामुन में पाए जाने वाले पोषण तत्व ? जामुन की खेती कैसे करे ? जमीन की खेती / बागवानी के लिए उपयुक्त मिट्टी ? जामुन के पौधे में लगने वाले प्रमुख रोग ? जामुन की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे ? जामुन की खेती से कितनी कमाई हो सकती है ? आदि की विस्तार जानकारी आपको इस लेख में ही दी जाएगी|
जामुन की खेती से जुडी जानकारी
जामुन का पेड़ एक बार लगाने के बाद 50 से 60 वर्ष तक पैदावार देता है| जामुन के फल में अम्लीय गुण होता होता है जिस कारण इसका स्वाद कसेला होता है| जमीन के अंदर कई ऐसे तत्व पाए जाते है जिनके कारण इसका फल मनुष्य के लिए उपयोगी होता है| इसके फल को खाने से मधुमेह, एनीमिया, दांत तथा पेट संबंधित बीमारियों से छुटकारा मिलता है| जामुन के बीज का चूर्ण मूत्र में शर्करा की मात्रा को कम करता है| इन सभी गुणों के होने से बाजार में जामुन की मांग बढ़ रही है|
जामुन की खेती सबसे ज्यादा इंडोनेशिया, म्यांमार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान,फिलिपिंस और भारत में सबसे ज्यादा होती है| भारत में इसकी खेती ज्यादातर महाराष्ट्र, आसाम, तामिलनाडु, गुजरात आदि राज्यों में इसकी खेती होती है|
जामुन में पाए जाने वाले पोषण तत्व
आयुर्वेद के अनुसार जामुन के फल में बहुत ज्यादा औषधीय गुण पाए जाते है जो Diabetes को Control करने के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है| इसके अलावा इसमें Iron, Calcium, Protein, Fiber, Carbohydrates पाया जाता है जो बच्चो तथा बड़ो के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है| इसमें Vitamin A और Vitamin C भरपूर मात्रा में पाया जाता है|
जामुन की खेती / बागवानी के लिए उपयुक्त मिट्टी
जामुन का पौधा जल भराव तथा उचित जल निकासी वाले दोनो ही तरह की भूमि लगाया जा सकता है परंतु अधिक पैदावार लेने के लिए जल निकासी वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है| इसके वृक्ष को कठोर तथा रेतीली भूमि में नही उगाना चाहिए| इसकी खेती के लिए चयनित भूमि की मिट्टी का PH मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए|
जामुन की खेती / बागवानी के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान
जामुन के पौधे को अच्छी तरह से अंकुरित होने के लिए लगभग 20 डिग्री के आसपास तापमान की आवश्यकता होती है तथा अंकुरित होने के बाद पौधे को विकास करने के लिए सामान्य तापमान की जरूरत होती है| आपकी जानकारी के लिए बता दे की जामुन के पौधे को समशीतोष्ण तथा उष्णकटिबंधीय जलवायु वाली जगहों पर उगाया जा सकता है| हमारे भारत देश में इसे ठंडे प्रदेशों को छोड़कर कही पर भी लगाया जा सकता है तथा इसके पेड़ पर सर्दी, गर्मी और बरसात का कोई कस प्रभाव नही पड़ता है परंतु पाला और तेज गर्मी में इसे हानि पहुंचती है|
जामुन की खेती कैसे करे
यदि आप जामुन की खेती से अच्छा मुनाफा चाहते है तो आपको नीचे दिए गए पॉइंट्स को फॉलो करना चाहिए| नीचे बताई गई विधि आपके लिए मदद गार साबित होगी|
जामुन की खेती के लिए आपको सर्वप्रथम अच्छे से खेत की जुताई करे|
जुताई कुछ दिन बाद आपको खेत में रोटावेटर चला दे इससे मिट्टी में मौजूद ढ़ेलो को खत्म किया जा सकता है|
इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल बना ले|
फिर 5 से 7 मीटर की दूरी पर 1 मीटर व्यास वाले 1 से 2 फिट गहरे गड्डे तैयार कर ले|
इसके बाद गड्डे में सही मात्रा में जैविक तथा रासायनिक खाद को मिट्टी में मिलाकर भर दे|
उसके बाद गहरी सिंचाई कर दे फिर एक माह के बाद गड्डे में बीज तथा पौधे की रुपाई करे|
उर्वरक की मात्रा
जामुन के पेड़ो को उर्वरक की सामान्य जरूरत होती है इसके लिए पौधे को खेत में लगाने से पहले तैयार किए गए गड्डे में 10 से 20 किलोग्राम पुरानी सडी गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाकर गड्डे में भर दे| गोबर की खाद की जगह वर्मी कंपोस्ट खाद का भी उपयोग कर सकते है|
इसके अलावा यदि जैविक खाद उपलब्ध न हो तो रासायनिक खाद का भी उपयोग कर सकते है| इसमें शुरआती में प्रत्येक पौधे को 100 ग्राम NPK की मात्रा को साल में 3 बार देना चाहिए| पूर्ण रूप से विकसित वृक्ष को 50 से 60 किलोग्राम जैविक तथा 1 किलोग्राम रासायनिक खाद की मात्रा साल में 4 बार देनी चाहिए|
जामुन की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करे
जामुन के पौधे में खरपतवार नियंत्रण निराई गुड़ाई करना आवश्यक है इसके पौधे को पहली गुड़ाई बीज तथा पौधे रुपाई के 15 दिन बाद ही कर देनी चाहिए और दूसरी निराई अच्छे से विकसित होने के लिए सालभर में 7 से 10 गुड़ाई करनी चाहिए| बारिश के बाद खेत सूखने पर हल्की जमीन में जन्म लेने वाली खरपतवार नष्ट करने के लिए हल्की जुताई कर सकते है|
जामुन के पौधे में लगने वाले प्रमुख रोग
जामुन की खेती यदि आप करते है तो इसमें आपको होने रोग पर विशेष ध्यान देना चाहिए अन्यथा इसका प्रभाव आपको इसकी पैदावार में देखने को मिलता है प्रमुख रोग की जानकारी नीचे विस्तारपूर्वक दी गई है|
पत्ती झुलसा रोग
पत्ता जोड़ मकड़ी रोग
पत्तियों पर सडी रोग
फल छेदक
फल तथा फुल झड़न
जामुन की खेती से कितनी कमाई हो सकती है
जामुन के 1 पौधे से लगभग 80 से 90 किलोग्राम जामुन प्राप्त हो सकते है तथा एक एकड़ में लगभग 100 ए ज्यादा पेड़ लगाए जा सकते है| जिनका कुल उत्पादन 10 हजार किलोग्राम तक हो सकता है| इसके अलावा जामुन के भाव की बात करे तो, जामुन का बाजार में भाव 80 से 100 रुपए प्रति किलो है इस हिसाब से एक एकड़ में लगभग 8 से 10 लाख रुपए आसानी से कमा सकते है|