आप जानते ही होंगे कि भारत में मिर्च का प्रयोग एक मसाले के रूप में किया जाता है। जो हमारे भोजन का मुख्य अंग होता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो मिर्च में विटामिन ए एवं सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
जिसकी खेती भारत के कई प्रांत जैसे आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु , उड़ीसा पश्चिम बंगाल , राजस्थान , महाराष्ट्र एवं कर्नाटक प्रमुख राज्य है । वर्तमान में भारत में 79,2000 हेक्टेयर में मिर्च की खेती की जाती है। जिससे 12,23000 टन उत्पादन प्राप्त होता है मिर्च का वानस्पतिक नाम कैप्सिकम एनम है।
आइए जानते हैं की मिर्च की नर्सरी को कैसे तैयार किया जाता है-
वर्ष में तीन बार मिर्च की फसल तैयार की जाती है । मिर्च की खेती के लिए बीज ट्रे विधि या क्यारी विधि का का प्रयोग सामान्यत: करते हैं।
बीज ट्रे विधि कम क्षेत्र में अगर खेती करनी है, तो उसके लिए उपयुक्त मानी जाती है । लेकिन 1 एकड़ अर्थात 43,560 वर्ग फुट गाने क्षेत्र के लिए महंगी होती है।
नर्सरी बनाने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करते हैं,, जहां 4- 5 घंटे दिन में पर्याप्त धूप रहती हो ।
अगर किसान को क्यारी विधि से मिर्च की नर्सरी तैयार करनी है , तो 10 से 20 फीट आकार में अच्छी तरह से जुताई करके जैविक खादों का प्रयोग करके तैयार करनी चाहिए।
जैसे जैसे पौधे बड़े होते हैं, प्रति पौधा 25 ग्राम पोटाश उसमें डालना चाहिए।
अगले दिन 3 मीटर लंबी और 1.2 मीटर चौड़ी बीज की क्यारियां की आवश्यकता होती है। बीजों को एक कतार में बोया जाता है। एक लाइन से दूसरी लाइन की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर होनी चाहिए । एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी लगभग 5 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
मिर्च के बीजों को गोबर की खाद और मिट्टी के मिश्रण से 1 सेंटीमीटर मोटी पर बना कर रख देना चाहिए ।
मिर्च की नर्सरी के लिए अच्छी किस्म के 1 किलोग्राम बीज की मात्रा 1 हेक्टेयर क्षेत्र की नर्सरी बनाने के लिए आवश्यक होती है। बारिश के मौसम में मिर्च की पौध 4 से 6 सप्ताह में और सर्दियों के मौसम में 8 से 10 हफ्ते में मिर्च की पौध रोपाई करने योग्य हो जाती है।
मिर्च की रोपाई बारिश सर्दी और गर्मी तीनों मौसम में की जा सकती है। लेकिन मिर्च की दो मुख्य फसल है जो जून से अक्टूबर के बीच तैयार हो जाती है। जिसकी रोपाई जून-जुलाई में और सर्दियों की फसल की रोपाई सितंबर अक्टूबर में और गर्मी की फसल की रोपाई फरवरी-मार्च में की जा सकती है । ज्यादातर किसान लोग मिर्च की रोपाई शाम के समय करते हैं , और रोपाई के बाद खेत की सिंचाई होनी चाहिए । मिर्च की खेती के लिए तापमान 15 से 35 डिग्री होना जरूरी होता है और उसकी बुवाई के समय का तापमान 28 से 35 डिग्री सेल्सियस होना अच्छा माना जाता है।
मिर्च की नर्सरी में बीज की बुवाई के 35 दिन बाद मिर्च की पौध को मुख्य खेत में लगाने लायक हो जाते हैं।
पौधा लगाने की लगभग 60 दिन बाद पौधे से प्राप्त मिर्च को तोड़ना शुरू हो जाता है लगभग 5 महीने तक मिर्च को तोड़ा जाता है । जिससे किसानों की अच्छी कमाई होती है।
मिर्च की खेती करते समय कई प्रकार के रोग एवं कीट में लग जाती हैं यदि ध्यान नहीं दिया जाए तो खेती को बहुत नुकसान होता है , इसलिए समय-समय पर पौधों को बचाने के लिए दवा डालते रहना चाहिए । एक तरह की सफेद मक्खियां जो पौधे की कोमल पत्तियों का रस उसके उसे खराब कर देती हैं । इससे बचाने के लिए इमिडाक्लोरोपिड 1ml प्रति 15lt पानी में मिलाकर घोल तैयार करके फसलों पर स्प्रे करना चाहिए ।
व्यवसाय की दृष्टि से मिर्च की खेती-
मिर्च की खेती भारत में एक अच्छी आय का स्रोत मानी जाती है । मिर्च एक बारहमासी पौधा है । किसानों से वार्षिक पौधे के रूप में मानते हैं । खेती होने के बाद दूसरी फसल के लिए खेत की जुताई करके पहली फसल के अवशेषों को निकाल दिया जाता है । और उन क्यारियों पर एक प्लास्टिक की चादर बिछा दी जाती है । जिससे अन्य पौधे की रोपाई हो सके । प्लास्टिक की चादर से मिट्टी को ज्यादा देर गरम रखने में मदद मिलती है । खरपतवार को नियंत्रित रखा जाता है । एवं किसान ड्रिप सिंचाई प्रणाली भी प्रयोग कर पाते हैं । किसान आधुनिक रूप से मिर्ची की खेती कर रहे हैं । जिससे उन्हें 5 एकड़ की खेती से सालाना 40 लाख तक की कमाई होती है । रसायनिक खादों का कम प्रयोग करके जैविक रूप में खेती करके अच्छा मुनाफा पाया है ।
मिट्टी का पौधा कितने दिन में तैयार होता है
जून से मार्च महीने तक मिर्च की खेती का समय सही होता है । 22 से 25 दिन में 20 पौधे को तैयार कर देता है। रोपण के बाद 55 से 60-70 अर्थात 2 महीने लगभग मैं फूल फल आने लगते हैं ।
मिर्च के पौधे में कौन सी खाद डालनी चाहिए? -
मिर्च की नर्सरी के लिए मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद 50 ग्राम फोटेट दवा वर्मी कंपोस्ट को अच्छी तरह से मिलाया जाता है। मिर्च की पौध को अधिक उपज एवं स्वस्थ रखने के लिए खेती के समय संतुलित मात्रा में खाद एवं पोषक तत्वों को देना आवश्यक होता है ।
मिर्च के फूल क्यों झड़ते हैं? -
मिर्च के पौधे के साथ-साथ सभी तरह की सब्जियों वाले पौधों में फूलों का गिरना एक आम बात होती है। जिसमें पौधे में फूल खेलते हैं, लेकिन फल बनने से पहले ही दे मुरझा कर सूख़कर गिर जाते हैं मिर्ची के पौधे में फूलों का गिरने के कई कारण हो सकते हैं ।
जैसे -
मिर्ची में पीलापन आ जाना
मिर्ची के अनुकूल वातावरण ना होना
मिट्टी में पर्याप्त नमी ना होना
पौधों के बीच समान दूरी ना होना 5 मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी या अधिकता होना
गमले में या होमगार्ड में लगे मिर्च के पौधे में अधिक पानी होना
पौधों में अधिक फलों का होना
किसी बाहरी समस्या के कारण फूल बनने से पहले झड़ जाते हैं फूलों का फल बनने से पहले गिर जाना चिल्ली प्लांट ड्रॉप कहा जाता है।
अगर मिर्च के पौधे में फूल गिरने की समस्या ज्यादा होती है, तो फलों का उत्पादन भी बहुत कम होता है । कई बार ऐसा देखा गया कि पौधा हरा भरा तो है लेकिन उसमें फल नहीं आते है।
1 एकड़ में मिर्च के कितने बीच लगते हैं -
1 एकड़ खेत में लगभग 10,000 के आसपास पौधे लगाए जा सकते हैं। जिसमें एक फौजी की लागत ₹1 के बराबर होती है ।इस तरह 60 एकड़ में एकड़ में पौधे लगाने में लगभग 6 लाख रुपए लगते है ।
1 एकड़ में मिर्च की खेती की लागत 35 से ₹40000 का खर्च आता है। जबकि डेढ़ सौ से 200 कुंटल 3उत्पादन हो सकता है जिसकी बाजार कॉस्ट 2 लाख तक की होती है।
मिर्च के पौधे की दूरी कितनी रखनी चाहिए -
मिर्च की खेती में दो किस्मों के बीच की दूरी कम से कम 400 मीटर रखनी चाहिए
मिर्च की खेती करने से लाभ -
मिर्च की खेती से आम किसान की 25 से 50 लाख तक की आमदनी हो जाती है ।
मिर्च की फसल को वार्षिक फसल के रूप में जाना जाता है।
कम जगह में अच्छा उत्पादन के रूप में मिर्च की खेती जानी जाती है।
मिर्च की खेती के लिए कम आमदनी एवं कम दाम में अच्छा उत्पादन एवं अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है।
मिर्च की खेती जल्दी तैयार हो जाती है।
मिर्च की खेती करते समय प्रमुख सावधानियां -
मिर्च की खेती के लिए बीजों का चुनाव करना चाहिए ।
मिर्च के पौधे को आवश्यक रूप वाली जगह पर रखना चाहिए ।
पौधों के बीच बराबर दूरी बनाए रखनी चाहिए ।
पौधों की नर्सरी बनाकर उनका पोषण करना चाहिए । समय पर बुबाई एवं रोपण करना चाहिए ।
कीट रोगों से बचने के लिए जैविक तरीके एवं रसायनिक तरीकों का प्रयोग करना चाहिए
मिर्च की पौध को पर्याप्त एवं उसके अनुकूल वातावरण मिलना चाहिए।