कपास भारत की एक दीर्घ अवधि की नकदी फसल है नकदी फसल उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है जिसमें मुख्यत: जुट, कॉफी, कोको गन्ना केला संतरा कपास प्रमुख है । संसार में दो तरह की कपास की पाई जाती है। पहली को देशी कपास एवं दूसरी अमेरिकन कपास के नाम से जाना जाता है। कपास से रुई तैयार की जाती है। जिसे हम सफेद सोना भी कहते हैं।
कपास एक ऐसी फसल है , जिसे उगने के लिए सर्वाधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है । अक्सर सूखा पड़ने पर भी इस फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।कपास के उत्पादन के लिए एक अच्छी किस्म की जल निकास वाली काली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है। काली मिट्टी के साथ संचित चिकनी बलुई मिट्टी दोमट मिट्टी और रेगिस्तानी मिट्टी का भी प्रयोग होता है। कपास की खेती के लिए मिट्टी को संतुलित पोषण मिलना बहुत आवश्यक है। कपास की खेती करने के लिए 18 से 27 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना चाहिए। कपास की फसल 150 से 180 दिन की एक दीर्घावधि वाली फसल है।

कपास के बीज की बुवाई कब करनी चाहिए-
ऐसी जगह जहां सिंचाई की व्यवस्था और मई के मध्य से जून के प्रथम सप्ताह तक कर देनी चाहिए, जैसे ही मानसून आने वाले हैं जून के मध्य से लेकर जुलाई के पहले हफ्ते तक उचित दूरियों पर बीज की बुवाई हो जानी चाहिए।
कपास के बीजों का चुनाव कैसे करें-
कपास की फसल के लिए और अच्छे उत्पादन के लिए हमें हमेशा उत्तम किस्मों के बीज का चुनाव करना चाहिए। क्योंकि हम जानते हैं कि अच्छे बीजों से ही खेती उत्तम होगी। अच्छी ब्रांड के अजीत 155 ,अजीत 111 ,राशि 659, राशि 2 डेनिम आदि है।
कपास की फसल हेतु पोषण क्या प्रबंधन कैसे करें-
कपास की फसल काफी महंगी मानी जाती है। खर्च को कम करने के लिए किसानों को रसायनिक दवाओं का संतुलित प्रयोग करने के साथ खेतों में बायोपेस्टिसाइड, नीम का तेल, नीम की खली, गोबर की खाद, हरी खाद एवं केंचुए की खाद का भी प्रयोग किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि बारिश के मौसम में फसलों को बीमारियां हो जाती हैं । किसी कृषि अधिकारियों ने किसानों को बताया कपास में सफेद मक्खी के प्रकोप से फसल खराब होती है। जिस के बचाव के लिए 300 मिलीमीटर डायमिथाएट पानी में मिलाकर प्रे करना चाहिए एवं किसानों को कपास में पनपने वाले रस चूसक कीड़ो बचाव करना चाहिए । किसानों को फसल में कॉफीडोर और एक तारा नामक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए । यह देसी तरीकों में एक कार का तरीका माना जाता है। किसानों को कृषि विकास अधिकारी डॉक्टर सचिन अहलावत एवं डॉ अमित सोनी ने बताया कि देसी तरीकों का प्रयोग करके आप अपनी फसल को बीमारियों से बचाने के साथ उनके उत्पादन को भी बेहतर बना सकते हैं एवं आपके फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी ।
कपास के प्रकार -
भारत में तीन तरह की कपास पाई जाती है -
1 छोटी रेशे वाली कपास
2 मध्यम रेशे वाली का पास
3 दीर्घ रेशे वाली कपास
कपास का उपयोग -
भारत में कपास कॉटन का प्रयोग कई तरीकों से किया जाता है, लगभग 500 वर्षों से मानव जाति कपास के रेशे से बनी कपड़ों को पहनती है यह कपड़े पहनने में जितने नरम, सुंदर होते हैं, उतने ही गर्मियों में आरामदायक माने जाते हैं।
1 कॉटन का प्रयोग सूती वस्त्र जैसे तकिया कवर कपड़े चादर पर्दे बनाने में किया जाता है ।
2 इसके साथ हॉस्पिटल में मरीज के चोट को साफ करने के रुई का प्रयोग करते हैं।
3 छोटे बच्चों के लिए डायपर एवं बेबी वाइप्स बनाने के लिए कपास का प्रयोग किया जाता है।
4 महिलाओं की स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ एवं साफ सेनेटरी पैड बनाने के लिए कॉटन का का प्रयोग किया जाता है।
5 स्किन केयर प्रोडक्ट में भी रुई का प्रयोग कॉटन सीड्स प्रोटीन कॉटन सीड्स ऑयल कॉटन मिल्क में किया जाता है।
6 कपास में सैलूलोज नाम का एक प्रोटीन पदार्थ पाया जाता है जो जीव जंतुओं के लिए भोजन का काम करता है, इसलिए घोड़ों और अन्य जानवरों को कपास के साथ रखा जाता है ,जिससे वह उस में विद्यमान सैलूलोज को बचाकर अपना पेट भर सके।
7 इन सबके अतिरिक्त कॉटन का प्रयोग टीवी कबर फ्रिज कवर सोफा कवर एवं वाशिंग मशीन कवर के लिए भी प्रयोग किया जाता है।
कपास की कटाई करते समय ध्यान रखने योग्य बातें -
कपास एक नकदी फसल होती है इसलिए किसान चाहता है की फसल की ज्यादा पैदावार हो और उसका बाजार में अच्छा भाव मिल सके इसीलिए जब वह कपास की कटाई करता है तो ध्यान रखता है कि कपास की गुणवत्ता खराब ना हो ।
1 अलग-अलग किस्म के कपास की कटाई अलग की जाती है जिससे कपास आपस में मिले नहीं ।
2 कपास की कटाई करते समय जिस पर कपास रखना है वह कपड़ा या पल्ली पूरी तरह से साफ होनी चाहिए अगर हो सके तो सूती कपड़े की होनी चाहिए।
3 किसान को कपास की कटाई करते समय अपने सर को बांध लेना चाहिए जिससे कपास की गुणवत्ता पर प्रभाव ना पड़े।
4 कपास को काटते समय नीचे से ऊपर की ओर कटाई करें जिससे कपास में आने वाला कचरा कम हो।
5 कटाई करते समय किसान को किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादन का सेवन नहीं करना चाहिए।
मनुष्य को अपने जीवन यापन करने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है -रोटी कपड़ा मकान । जिसमें कपड़ा कपास से तैयार किया जाता है बाजार में विभिन्न तरह के फैब्रिक आ गए हैं लेकिन कॉटन उन सब में सर्वोपरि है 7 अक्टूबर 2019 को पहली बार विश्व कपास दिवस के रूप में मनाया गया था । यह दिवस संयुक्त राष्ट्र, विश्व खाद्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र व्यापार एवं विकास सम्मेलन ,राष्ट्रीय व्यापार केंद्र एवं राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति द्वारा पहली बार चलन में आया था।
भारत विश्व में सबसे अधिक मात्रा में कपास का उत्पादन करने वाली देशों में प्रथम नंबर पर आता है । हर साल लगभग भारत मे 62 लाख कपास का उत्पादन होता है। भारत में गुजरात राज्य में सबसे ज्यादा फसल का उत्पादन होता है । कपास के सर्वाधिक उत्पादन के कारण गुजरात कपड़ा उद्योग के लिए एक केंद्रीय राज्य के रूप में माना जाता है। इसके साथ तमिलनाडु ,उड़ीसा, तेलंगाना राजस्थान, हरियाणा ,मध्य प्रदेश कर्नाटक ,पंजाब राज्यों में भी कपास की खेती की जाती है । भारत कपास की फसल उत्पादन के लिए 125.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करता है भारत शीर्ष कृषि प्रधान देशों में से एक है। दूसरे स्थान पर 6,178, 318 टन सालाना उत्पादन चीन करता है।
शोध में पाया गया कि उत्तरी भारत में पंजाब हरियाणा राजस्थान के अंदर सबसे अधिक कपास की खेती होती है करीब 1100000 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की खेती की जाती है कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के हित में एवं किसानों के उत्थान के लिए नवीन तकनीकों को लाया जाए जिससे किसान की आदमी आमदनी बड़े एवं उच्च कोटि का कपास जनता को प्राप्त हो ।
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