प्रिय किसान भाईयो, आपके जानकारी के लिए बता दे की यदि आप भी खेती के माध्यम से अच्छा-खासा मुनाफा प्राप्त करना चाहते है तो आपको भी मिश्रित खेती की पद्धति अपनानी चाहिए| मिश्रित खेती एक सफल खेती करने की विधि है, क्योंकि मिश्रित खेती में कई( एक से अधिक फसलों की ) फसलों की खेती की जा सकती है| इस विधि को अपनाने का मुख्य उद्देश्य है की यदि एक फसल में नुकसान हो रहा है तो किसानों को दूसरी फसल के उत्पादन से कुछ फायदा होने के साथ-साथ नुकसान से बचा जा सके|
प्रिय, पाठक यदि आप भी एक किसान है तथा आपको भी मिश्रित खेती के बारे में अधिक जानकारी नही है, तो फिर आपको मिश्रित खेती के बारे में अधिक जानकारी इस लेख के माध्यम से प्राप्त होगी| लेख में आपको कई आवश्यक जानकारी मिलेगी जैसे की मिश्रित खेती क्या है तथा मिश्रित खेती करने का सही तरीका क्या है? भारत में कृषि के प्रकार ? मिश्रित खेती से क्या लाभ क्या है? मिश्रित खेती से क्या नुकसान है? मिश्रित खेती की विशेषता क्या है? मिश्रित खेती के प्रमुख सिद्धांत की जानकारी ? आखिर क्यों मिश्रित खेती की आवश्यकता पड़ी? मिश्रित खेती करते समय हमे किन बातो को ध्यान रखना चाहिए? प्रमुख मिश्रित फसल कौन सी है? आदि की जानकारी आपको इस लेख में मिलेगी|
मिश्रित खेती क्या है और मिश्रित खेती करने का सही तरीका क्या है?
मिश्रित खेती एक ऐसी विधि है, जिसमे खेत में बहुत करीबी दूरी पर एक साथ और दूसरे के स्थान पर दो अलग-अलग फसलों को उगाना शामिल है तथा यदि हम दूसरे शब्दो में बात करे तो, मिश्रित खेती का अर्थ है एक ही खेती में एक ही समय में दो अलग-अलग पौधे उगाना है जबकि फसल चक्रण का अर्थ है की दो या दो से अधिक फसलों एक के बाद एक उगाई जाती है अर्थात मिश्रित खेती और फसल चक्रण खेती में बहुत ही अंतर है|
फसलों के उत्पादन के साथ पशुपालन करना भी मिश्रित खेती कहलाता है, मिश्रित खेती से किसान को दोनो ओर से लाभ मिलता है| किसी कारण से यदि किसान की पहली फसल नष्ट भी हो जाती है तो, किसान दूसरी फसल का लाभ लेकर वह नुकसान की भरपाई कर सके| यदि आप भी खेती से अच्छा लाभ लेना चाहते है तो आपको मिश्रित खेती करना चाहिए, इससे आपको अधिक लाभ होगा तथा आर्थिक सुधार भी दिखाई देगा|
मिश्रित खेती से क्या लाभ क्या है?
मिश्रित खेती करने वाले किसान को और किसान के परिवार को नियमित रूप से कार्य मिलता रहता है|
इस विधि से खेती में पशुओं से प्राप्त होने वाले गोबर तथा गो मूत्र से भूमि की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है|
मिश्रित खेती के माध्यम से आर्थिक दृष्टिकोण से भूमि, श्रेय तथा पूंजी का समुचित प्रयोग कर लिया जाता है|
मिश्रित खेती की विधि से खेती करने से वर्ष के अधिकांश भाग में आय नियमित रूप से प्राप्त होती रही है|
मिश्रित खेती से क्या नुकसान है?
मिश्रित खेती करने से शुद्ध बीजों की प्राप्ति आसानी से नही मिलती है|
मिश्रित फसलों की कटाई में कई समस्या आती है|
इसके अलावा खरपतवार और कीटनाशक दवाइयों के छिटकांव में परेशानी आती है|
मिश्रित खेती को करने वाले किसानों को फसलों की निराई तथा गुड़ाई में कई कढ़ीनाई होती है|
इस विधि से खेती करने पर उन्नत यंत्रों के प्रयोग में भी कठिनाई होती है|
मिश्रित खेती की विशेषता क्या है?
मिश्रित खेती के माध्यम से किसान दूध, दही, फल तथा सब्जियां, अनाज और डेयरी उत्पादन के बदले आय अर्जित कर सकता है|
किसान भाईयो के पास आय के अनेक स्त्रोत होंगे जिसके कारण से नुकसान से बचा जा सकता है|
किसान पशुपालन से बाजार की नगद आय भी कमा सकते है|
पहली फसल नष्ट भी हो जाती है तो, किसान दूसरी फसल का लाभ लेकर वह नुकसान की भरपाई कर सकता है|
मिश्रित खेती के प्रमुख सिद्धांत की जानकारी ?
आर्थिक लाभ : इस विधि से खेती करने पर एक फसल की तुलना में अधिक लाभ मिलेगा|
पोषण तत्वों की उपलब्धता : मिश्रित खेती में एक फसल अपस्थानिक जड़ों वाली और दूसरी फसल गहरी जड़ वाली होनी चाहिए|
सिंचाई जल : फसलों का चुनाव करते समय वर्षा जल के अतरिक्त सिंचाई जल की उपलब्धता पर भी विचार करना चाहिए|
जलवायु : यदि आप मिश्रित खेती करना चाहते है तो आपको फसलों का चुनाव करते समय आपके क्षेत्र की जलवायु पर विशेष ध्यान में रखना है|
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भारत में कृषि के प्रकार ?
हमारा भारत देश एक विशाल देश है, हमारे देश में अनेक अलग-अलग प्रकार की कृषि की जाती है| जिसकी निम्न जानकारी नीचे दे रही है|
स्थानांतरण कृषि : इस कृषि के तहत किसान कृषि क्षेत्र बदलता रहता है, वनो को काटकर और झाड़ियों को काटकर या जलाकर छोटे से भूखंड को साफ कर हल खेत में चलाया जाता है| अर्थात खेत तेयार करने के बाद किसान खेती करता है| इस कृषि में मोटे अनाज जैसे की माक्का, बाजरा, ज्वार आदि उन्नत किए जाते है|
मिश्रित खेती : इस खेती में कृषि कार्यों के साथ पशुपालन व्यवसाय भी जा सकती है तथा इस प्रकार की जाने वाली खेती मिश्रित खेती होती है|
फलों तथा सब्जियों की कृषि : फल तथा सब्जियों का उत्पादन अधिक मात्रा में किया जाता है, तथा बाजार केंद्र का नजदीकी एक परिवहन साधनों की सुविधा के आधार पर इस कृषि का विकास हुआ है|
आखिर क्यों मिश्रित खेती की आवश्यकता पड़ी?
पहले किसान अपने खेत में केवल एक ही तरह की फसल की खेती करते थे, परंतु किसान को उस फसल में अच्छा मुनाफा नही दिखाई दिया| अब आधुनिक कृषि में किसान दो फसल या दो से अधिक फसलों की खेती करना अधिक पसंद करते है क्योंकि उन्हें अब समझ आ गया है की मिश्रित खेती से क्या लाभ है?
किसानों ने फसल के साथ-साथ बागवानी की खेती करना भी आरंभ कर दी, किसान अब खरीफ तथा रबी फसल के साथ-साथ अन्य बागवानी फसल जैसे- लिंबू, संतरा, आम आदि की खेती करना भी शुरू कर दी बागवानी फलों को बाजारों में बेचकर अच्छा खास लाभ किसानों को मिल जाता है|
मिश्रित खेती करते समय हमे किन बातो को ध्यान रखना चाहिए?
यदि आप भी मिश्रित खेती करना चाहते है तो इसके लिए पहले आपको अपने खेत को अच्छे तैयार कर लेना है|
इसके बाद आपको अपने खेत में भर -पुर जैविक खाद डालना है|
इसके बाद आपको किन्ही दो या दो से अधिक फसलों का चुनाव कर लेना है|
मिश्रित खेती में आपको नियमित सिंचाई करने की आवश्यकता होती है, सिंचाई आपको मौसम के अनुसार ही करना है|
खरपतवार तथा खाद समय पर देना होगा|
फसल कटाई में आपको ध्यान रखना है, कटाई में आपको थोड़ी बहुत कढ़ीनाइया आ सकती है|
प्रमुख मिश्रित फसल कौन सी है?
यदि आप मिश्रित खेती की फसल की जानकारी प्राप्त करना चाहिए है तो, आइए जाने की आप कौन सी फसलों के साथ मिश्रित करना चाहिए| मिश्रित खेती कई प्रकार की होती है जैसे की- पालक + मूली, गोभी + करेला, टमाटर + मूली तथा खरीफ फसल + बागवानी फसल और रबी फसल + बागवानी फसल आदि कई तरह से आप मिश्रित फसल की खेती कर सकते है|