हमारे भारत देश में रुद्राक्ष हिमालय के प्रदेशों में पाया जाता है, रुद्राक्ष आपको कई राज्य तथा क्षेत्रों में देखने को मिलेगा| रुद्राक्ष एक ऐसी चीज है जिसकी पुराणों से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक बहुत मान्यता है| रुद्राक्ष के कई अलग-अलग प्रकार होते है| रुद्राक्ष में कई ओषधियां गुण पाए जाते है जिनमे माला को गले में पहनने से रक्त का दाब नियंत्रण रहता है तथा रुद्राक्ष को गले में पहनने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है|
आज के इस लेख में आपको रुद्राक्ष से संबंधित जानकारी मिलेगी जैसे की - रुद्राक्ष का पेड़ दिखाने में कैसे होते है? रुद्राक्ष की खेती कैसे करे? देश में रुद्राक्ष की उत्पादन जानकारी? रुद्राक्ष को कैसे पहचाने ? रुद्राक्ष का फल कैसा दिखाई देता है? रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है? रुद्राक्ष का पौधा कब और कैसे लगाना चाहिए? भारत में रुद्राक्ष की कीमत क्या है? रुद्राक्ष के पेड़ और फल की पवित्र क्यों माना जाता है?
रुद्राक्ष का पेड़ दिखाने में कैसे होते है?
रुद्राक्ष के पेड़ को एलियोकार्पस गेनिट्रस के नाम से भी जाना जाता है तथा रुद्राक्ष का पेड़ लगभग 50 से 200 फिट ऊंचा लंबा होता है| यदि हम इसकी प्रजाति के बात करे तो, भारत देश में रुद्राक्ष की लगभग 300 से अधिक प्रजातियां है| रुद्राक्ष को मुख्य तौर पर आस्ट्रेलिया, दक्षिण तथा पूर्वी एशिया, हिमालय, नेपाल और गंगा के मैदानी क्षेत्रों में रुद्राक्ष उगाया जाता है|
रुद्राक्ष का पेड़ काफी तेजी से ग्रोथ या बड़ा होता है, परंतु फल लगने में कुछ समय लगता है| रुद्राक्ष के पेड़ में फल लगने में लगभग चार से पांच वर्षो का समय लगता है|
रुद्राक्ष का फल कैसा दिखाई देता है और स्वाद कैसा होता है?
रुद्राक्ष का फल पकने खुद ही वह धरती पर गिर जाता है तथा जब फल के आवरण को हटाया जाता है| रुद्राक्ष की गुढ़ालीयो में अलग-अलग गिनती की धारिया होती है| वास्तव में यही धारिया रुद्राक्ष की मुखी कहलाती है| जिसके आधार पर इसका अलग अलग महत्व और मूल्य निर्धारण होता है|
रुद्राक्ष फल का स्वाद स्वादिष्ट नही होता है, इसके फल का स्वाद कुछ खट्टा और कसौला होता है| ते फल पकने के बाद पेड़ से टूटकर स्वय ही नीचे गिर जाता है|
रुद्राक्ष की खेती कैसे करे?
यदि आप कृषि में अच्छा खासा लाभ प्राप्त करना चाहते है तो आपको एक बार आवश्यक ही रुद्राक्ष की खेती करना चाहिए| रुद्राक्ष की खेती से संबंधित जानकारी हमने आपको आपको नीचे दी है|
यदि आप रुद्राक्ष की खेती करने का मन बना रहे है तो आपको सबसे पहले रुद्राक्ष के पौधे को लगाने के लिए आपको एयर लेयरिंग विधि का उपयोग करना होगा|
इसके बाद आपको पुराने रुद्राक्ष के पौधे की शाखाएं को काट देना है|
इसके बाद आपको पॉलिथीन से ढक देना है|
इसके बाद आपको दोनो ओर से रस्सी से बांध देना है|
अब इसमें 40 दिनों के अंदर ही जड़ आना शुरू हो जाएगा|
अब आपको इन सभी जड़ों को कटकर नए बैग में लगा देना है|
यदि आप रुद्राक्ष की खेती इस विधि से करते है तो पौधा जल्दी बड़ा होगा और पौधा जल्दी तैयार हो जाएगा|
देश में रुद्राक्ष की उत्पादन जानकारी?
रुद्राक्ष हमारे भारत देश के हिमालय प्रदेशों में पाया जाता है इसके अलावा कई राज्य तथा कई क्षेत्रों में रुद्राक्ष पाया जाता है| जैसे की - मध्य प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गड़वाल, हरिद्वार, बंगाल, देहरादून, असम, उत्तराखंड, नीलगिरी, मेसुरी, कर्नाटक आदि क्षेत्रों में रुद्राक्ष उत्पादन होता है|
भारत में रुद्राक्ष का बड़ी मात्रा में विदेशों से आयात किया जाता है इसमें इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल जैसे देश शामिल है| जिसका कारोबार अरबों में होता है, नेपाल में मिलने वाला रुद्राक्ष सिक्के का आकार बेहद दुर्बल और इल्योकेरपास जेनिट्र्स प्रजाति का होता है|
यह लेख भी आवश्यक पढ़े,
मिश्रित खेती की पद्धति
रुद्राक्ष का पौधा कब और कैसे लगाना चाहिए?
यदि आप रुद्राक्ष का पौधा लगाने में रुचि रखते है तो आपको इसका पौधा ठंड के मौसम में ही लगाना चाहिए क्योंकि रुद्राक्ष का पौधा ठान की जलवायु में अच्छे से ग्रोथ होता है| आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है की जिस भी क्षेत्र में आप रुद्राक्ष का पेड़ लगाना चाहते है उस क्षेत्र की जलवायु ठंडी होना चाहिए तथा आपके क्षेत्र का तापमान 35 डिग्री से अधिक हो तो इसके पौधे के चारो ओर इस प्रकार से व्यवस्था करे की पौधे को ठंडी हवा न लगे|
रुद्राक्ष को कैसे पहचाने ?
रुद्राक्ष में काफी बड़े फुल आते है, परंतु असली रुद्राक्ष में छोटे-छोटे फुल आते है|
रुद्राक्ष के पौधे में गर्मी के समय फुल आते है|
रुद्राक्ष के पत्ते दिखने में आम के पत्तो के जैसे होते है|
परंतु, आम के पत्ते थोड़े सख्त होते है और रुद्राक्ष के पत्ते मुलायम होते है|
रुद्राक्ष के पेड़ और फल की पवित्र क्यों माना जाता है?
रुद्राक्ष का पेड़ तथा फल धार्मिक रूप से पवित्र माना जाता है क्योंकि रुद्राक्ष का फल भगवान शिव को अति प्रिय माना जाता है| भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष को प्राचीन काल से ही पवित्र माना गया है| जिसके कारण से कई साधु भी रुद्राक्ष की माला पहनते है|
रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते है?
हमारे भारत देश में रुद्राक्ष के पेड़ की अपनेक प्रजातियां पाई जाती है| प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत देश में रुद्राक्ष के वृक्ष की कुल 32 प्रजातियां है| विशेषज्ञों के अनुसार भारत ए तीन मुखी से नीचे और सात मुखी से ऊपर के अधिकांश रुद्राक्ष नकली है| प्राचीन समय में 108 मुखी वाले रुद्राक्ष होते थे, परंतु वर्तमान समय में इसकी माला में तकरीबन 1 से 21 रेखाएं देखने को मिलती है|
यदि हम इसके आकार की बात करे तो इसके आकार को मिलीमीटर में नापते है| रुद्राक्ष नेपाल में 20 से 30 मिलीमीटर का होता है तथा इंडोनेशिया में 5 से 30 मिलीमीटर का होता है| यह रुद्राक्ष देखने में भूरा, लाल, सफेद तथा पीला और काला रंग का होता है| तथा इसका आकार हमेशा ही मिलीमीटर में मापा जाता है| रुद्राक्ष का आकार मटर के दाने के आकार से लेकर इक्कीस मुखी तक होता है|
भारत में रुद्राक्ष की कीमत क्या है?
भारत में धार्मिक दृष्टि से रुद्राक्ष की मांग अधिक है, कोकी इसका उपयोग औषधीय के रूप में भी सर्वाधिक किया जाता है| यदि आप इसका पेड़ खरीदना चाहते है तो यह पौधा आपको नर्सरी में आसानी से मिल जाएगा| रुद्राक्ष पेड़ की कीमत की बात करे तो इसका पेड़ लग भग 200 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक का आता है|
भारत में रुद्राक्ष की कीमत पचास रुपए से लेकर पच्चीस लाख रुपए है, तथा नेपाल में रुद्राक्ष की कीमत नेपाली रुपए में दस रुपए से लेकर दस लाख रुपए तक की है| इसके अलावा इंडोनेशिया में इसकी कीमत सबसे कम होती है तथा एक मुख इक्कीस मुख और चौदह मुख वाला रुद्राक्ष बेहद मांगा होता है|