यदि आप खेती के क्षेत्र में कम समय में अधिक मुनाफा कमाना चाहते है तो, आपको फिर मटर की खेती करनी चाहिए| क्योंकि इसकी खेती से अधिक लाभ मिलता है|
मटर की किस्म को 2 भागो में विभाजित किया गया है इसमें एक फील्ड मटर और दूसरी सब्जी मटर या गार्डन मटर है| फील्ड मटर का उपयोग दाने के लिए, साबुत मटर, दालों के लिए किया जाता है| रचन, अपर्णा, हंस, जेपी 885, विकास, सुभार, पारस, अंबिका आदि इसकी प्रमुख किस्म के फील्ड मटर है|
सब्जी मटर का उपयोग सब्जियों के लिए किया जाता है इसकी प्रमुख किस्म यह है - आर्केल, अर्ली बैजर, बोनविले, असोजी, आदि इसकी उन्नत किस्म के मटर है|
इस लेख को कृपया आप अंत तक पूरा पढे, इसमें आपको जानकी मटर की खेती की प्रमुख जानकारी मिलेगी| मटर की अच्छी खेती कैसे करे? मटर के बीज का चयन कैसे करे? मटर की सिंचाई कैसे करे? मटर की बुआई कब करे? आदि विषयों पर आज हम चर्चा करने वाले है|
मटर की खेती के लिए भूमि की तैयारी
मटर की खेती कई अनेक प्रकार से की जा सकती है फिर भी इसकी खेती गहरी दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है| खरीफ की कटाई के बाद आपको भूमि की अच्छे से 2 से 3 बार जुताई कर लेनी है| बीज को अंकुरण होने के लिए मिट्टी में नमी होना चाहिए|
मटर की खेती के लिए भूरीभूरी मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है, इसलिए खेत की मिट्टी को भूरभूरा करने के लिए खेत की सबसे पहले गहरी जुताई कर दी जाती है|
यदि आप अच्छे से जुताई करते है तो पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते है| खेती की जुताई के बाद उसे कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है|
पहली जुटाई के बाद आपको अपने खेत में 12 से 15 गाड़ी पुरानी सड़ी गोबर की खाद को प्रति हेक्टर में डालना है| खाद डालने के बाद उस जमीन को खाली छोड़ दे ताकि उसमे धूप लगे|
मटर की कई उन्नत किस्म
वी एल 7 : इस किस्म के खेती करने 100 से 120 दिनों में होती है, इस किस्म की पैदावार 70 से 80 कुंटल प्रति हेक्टर के हिसाब से उत्पादन होता है|
पंत 157 : इस किस्म की फसल को तैयार होने में 125 से 130 दिनों का समय लगता है, इसकी पैदावार 40 से 55 कुंटल प्रति हेक्टर के हिसाब से इसकी पैदावार होती है|
पूसा प्रभात : इसकी पैदावार 60 से 70 कुंटल प्रति हेक्टर के हिसाब से होती है, इसमें 55 % फलियों में दानों की मात्रा पाई जाती है|
पंजाब 89 : इस किस्म के पौधे में फलियां जोड़े से लगती है, इस में फलियां गहरे रंग की होती है और इसकी उत्पादन 60 कुंटल प्रति हेक्टर के हिसाब से इसकी उत्पादन होती है|
मालवीय मटर -2 : इस किस्म में सफेद फफूंद और रेतुआ रोग रहित होते है, इसका उत्पादन 25 से 35 कुंटल प्रति हेक्टर होता है|
मटर के बीज का बीजोपचार क्यों करे?
बुआई के पहले आपको बीज उपचार कर लेना है ऐसा करने से आपके सारे बीज अच्छे से उग जाते है| यदि आप बुआई से पहले बीज उपचार नही करते हैं तो आपके सभी बीज नही उग पाएंगे केवल 60 से 70% पौधे उगेंगे|
रसायनिक तरीके से उपचार के बाद बीजों से अच्छी पैदावार लेने के लिए एक बार राइजोबियम लिहुमिनोसोरम से उपचार करे| इसमें 10% चीनी या गुड के घोल का भी उपयोग करे|
मटर के बीज की मात्रा
मटर की खेती के लिए 100 kg प्रति हेक्टर बीज की जरूरत होती है परंतु मध्य और पिछली किस्म के लिए 80 kg बीज प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता होती है|
सिंचाई कैसे करे ?
जब आप बुआई करते है उस समय आपके खेत में यदि हल्की सी नमी है तो फिर आप इसकी सिंचाई कुछ दिनों के बाद में करे| आपको ध्यान देना होगा की पहली सिंचाई आपको पौधे में फुल आने के बाद करना है|
फिर आपको दूसरी सिंचाई फलियां आने के बाद करनी है, इस का भी ध्यान रखे की हल्की सिंचाई करे और फसल में पानी ठहरे न रहे अन्यथा आपकी फसल या पौधे खराब भी हो सकते है|
आखिर क्यों मटर की खेती में खरपतवार आवश्य है?
मटर की खेती आपको 2 से 3 बार खरपतवार करना आवश्यक है, पहली खरपतवार आपको बुआई के 3 से 4 दिनों के बाद कर देनी है और दूसरी खरपतवार पौधे में फुल आने पर कर देनी है|
खरपतवार फसल के पोषक तत्वों व जल को फसल को कमजोर करते है और उपज के भारी हानि पहुंचते है| यदि खेत में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार जैसे की - बथुआ, सेंजी, कृष्णनील, सतपाती अधिक हो तो स्टैंप 30 का छिड़काव आवश्यक रूप से करे|
मटर के पौधे की कटाई
मटर की फलियां लगभग 130 150 दिनों में पकती है इसकी कटाई दरांती से करनी होती है| इसके बाद दानों को 3 से 5 दिनों तक धूप में सुखा ने किए रख देना चाहिए| जिससे की मटर का बीज पूरी तरह से सुख जाए|