वर्तमान समय में ईपीएस 95, यह मुद्दा सोशल मीडिया और समाचारों में बहुत चर्चित का विषय रहा है और होना भी चाहिए। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इसके विरुद्ध जो भी निर्णय लेगी वह कर्मचारी और सभी भारतीय को मानना होगा। हाली में सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएस 95 पर क्या फैसला लिया जानने के लिए हमारे साथ बने रहे।
EPS ( Employees Pension Scheme ) के अंतर्गत पुराने फार्मूले के हिसाब से कर्मचारियों को 14 वर्ष पूर्ण होने पर 2 जून 2030 तक उन्हें पेंशन मिलनी चालू जाएग।| आज के इस न्यूज लेख में आप जानेंगे की कर्मचारियों को प्रतिमाह कितनी पेंशन दी जाएगी? कितने वर्ष बाद कर्मचारी को पेंशन मिलना शुरू होगी? इस अंतर्गत पेंशन का गणना का नया फॉर्मूला क्या है? इन सभी विषयों पर आज चर्चा करने वाले है।
कई कर्मचारीयो के मुताबियत यदि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन सीमा खत्म कर दिया जाए तो उन कर्मचारियों की सैलरी बड़ जाएगी।
ईपीएस 95 हायर पेंशन क्या है?
यदि इस EPS 95 की जानकारी पढ़ रहे तो आपको सबसे पहले EPS का पूरा नाम पता होना चाहिए। EPS का पूरा नाम इसका Employees Pension Scheme है।
EPS 95 के तहत जब Employees Pension Scheme 1995 में लागू की गई थी तब उस समय कर्मचारियों की अधिकतम सैलरी 6500 रुपए थी इससे ज्यादा किसी अन्य कर्मचारी का वेतन नही था। उस समय जब कर्मचारी की सैलरी कम थी तब सैलरी का 8.33% भाग पेंशन में जमा होता था।
जिससे की कर्मचारियों को रिटायर्ड होने के बाद पेंशन मिलती थी और उस समय जिसका वेतन ज्यादा था उनकी पेंशन भी उतनी ज्यादा मिलती थी।
परंतु जब EPS (Employees Pension Scheme ) में नया संशोधन हुआ तो इस नए संशोधन में कर्मचारियों और नियोक्ताओं की समहमती से हायर पेंशन का ऑप्शन कर्मचारियों को दिया गया।
कई ऐसे कर्मचारियों भी है, उनने इस ऑप्शन का लाभ भी अच्छे से लिया ताकि वह रिटायरमेंट के बाद अधिक पेंशन की प्राप्ति कर सके।
परंतु जब 1 सितंबर 2014 को सेलिंग लिमिट 6500 रुपए से बदाकर 15000 रुपए कर दी तो साथ ही पेंशन की गणना और हायर पेंशन जैसे विकल्व को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था।
फिर सभी कर्मचारियों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और कहने लगे हमे हमारी पेंशन चाहिए, जिसका फैसला आने वाला है।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या रहा?
12 अक्टूबर 2018 केरल हाई कोर्ट में EPS पेंशन धारकों को पेंशन से संबंधी मामलो पर सुनवाई करते हुए फेसला सुनाया की याचिकाओं में कुछ याचिकर्ताओ ने दलील दी थी, की EPS में 2014 में जो संशोधन हुआ उससे अधिकतम पेंशन योग्य कर्मचारी 15 हजार रुपए से अधिक का मानसिक वेतन प्राप्त कर रहे है।
Employees Pension Scheme में मूल भावना के खिलाफ है पेंशन धारकों की पेंशन में कमी आ रही है, जो की कर्मचारी को अमान्य था।
2019 सुप्रीम कोर्ट का फैसला
1 अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से पेंशन धारक के पक्ष में फैसला सुनाया और केरला हाईकोर्ट के फैसले को सही साबित बताया।
इस नए फैसले में कर्मचारियों की उच्च पेंशन का लाभ देने की बात को बरकरार रखा है। Employees Pension Scheme में पहले कई संशोधन हुए है।
आखिर क्यों यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा?
ईपीएफ मामले के जानकार और भारत सरकार, श्रम मंत्रालय और ईपीएफओ के केरल हाईकोर्ट की डबल बेच द्वारा 12 अक्टूबर 2018 को दिया फैसला।
1 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्य के बीच अपील खारिज केरल हाईकोर्ट के निर्णय को निरस्त करने की अपील की थी, जिस पर अंतिम सुनवाई हुई है।
कर्मचारियों का भाविश निधि संगठन के मध्यम से आने वाले 73 लाख eps 95 पेंशन और 6.5 करोड़ से अधिक IPAFO के अंशधारक सुप्रीम कोर्ट की ओर भरी नजर है।
सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएस 95 पेंशन की हायर पर अंतिम फैसले की सुरशित रैक लिए है, लम्बे असर के बाद तीन जजों की पीठ के सेम चल रही सुनवाई के बाद।
कर्मचारियों की सैलरी बढ़ेगी?
EPFO के नियम के अनुसार यदि कर्मचारी 20 वर्ष या इससे ज्यादा नौकरी करता है तो EPF में अंशदान करता है उसके सेवाकाल में दो साल और जोड़ लिया जाता है।
इस तरह से कर्मचारी की सैलरी में कई फीसदी की बडोतरी हो जाती है, मगर पेंशन की गणना 35 साल के लिए ही है।