फसलों में समन्वित खरपतवार नियंत्रण कैसे करते हैं
विभिन्न फसलों में यहां तक कि एक ही फसल में परिस्थिति विशेष के लिए भिन्न-भिन्न समन्वित खरपतवार योजना अपनाना आवश्यक होता है। विभिन्न फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए निम्नलिखित समाकलित योजनाएं अपनाई जा सकती हैं :-
( अ ) सीधी बुवाई वाले उपर वार धान में IWM योजना
धान उगाने की यह पद्धति ज्यादातर दक्षिणी - पूर्वी एशियाई देशों में अपनाई जाती है। इस पद्धति में फसल की नर्सरी न उगाये जाने के कारण खरपतवारों को बढ़ने तथा फूलने - फलने के लिए अधिक लम्बा समय मिल जाता है। इसीलिए इस पद्धति में समन्वित खरपतवार नियंत्रण के लिए निम्न योजनाओं को अपनाया जाना चाहिए ताकि खरपतवारों का आसानी से नियंत्रण किया जा सके :-
• उष्ण कालीन खेतों में गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे कि मोच आदि जैसे खरपतवारों को आसानी से नष्ट किया जा सके।
• वर्षा के आगमन के साथ - साथ हमें मिथ्या बीज शैया ( state seed bed ) बनाना चाहिए ताकि उन खरपतवारों को अंकुरित होने के बाद आसानी से नष्ट किया जा सके।
• खरपतवार रहित बीजों का चयन करना चाहिए जिससे की नकलची खरपतवारों जैसे कि Echinochloa आदि को आसानी से रोका जा सके।
• खरपतवारों के बीजों का अंकुरण होने के पहले ही खरपतवार नाशी जैसे कि पेन्डीमिथलीन, ब्यूटाक्लोर आदि का उपयोग करना चाहिए। जिससे की बुवाई के बाद अंकुरित होने वाले खरपतवारों को अंकुरण होने से रोका जा सके।
• आवश्यकतानुसार बुवाई के 30 से 40 दिन बाद खेतों में खुरपी द्वारा निराई - गुड़ाई करनी चाहिए। जिससे की खरपतवार खेतों में से आसानी से नष्ट हो जाते हैं।
उक्त समन्वित खरपतवार योजनाएं अपनाकर उपरवार सीधी बुवाई वाले धान में खरपतवारों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
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फसलों में समन्वित खरपतवार नियंत्रण कैसे करते है |
( ब ) सिंचित तथा रोपित धान की फसल में IWM योजना
सिंचित तथा रोपित धान की फसल में निम्नलिखित IWM योजनाओं को अपनाना चाहिए जिससे कि खेतों में से खरपतवारों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है :-
• ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करनी चाहिए।
• पूर्व फसल के अवशेष जो बचते हैं, उनको मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए जिससे कि मृदा में कार्बनिक पदार्थ का स्तर बढ़ने के साथ खरपतवारों को ढूंढ सी सड़ गल जाएं।
• खरपतवार रहित बीजों की नर्सरी को उगाना चाहिए।
• हमें नर्सरी को खरपतवार रहित बनाये रखना चाहिए ताकि पौधे नर्सरी में अच्छी ग्रोथ कर सकें और स्वस्थ रहें।
• रोपाई के बाद खेतों में अंकुरण से पहले शाकनाशी जैसे कि न्यूटाक्लोर की 2.0 ली/हे. मात्रा का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि नये खरपतवारों का अंकुरण न हो पाए।
• खेतों में हमेशा 5 - 10 सेंमी. गहरा पानी बनाए रखना चाहिए जिससे कि आक्सीजन के अभाव के कारण खरपतवारों के बीजों का अंकुरिण न हो पाए।
• फसल को खरपतवारों के प्रति स्पर्धी बनाने के लिए संतुष्टि पोषण प्रबन्धन तथा रोग एवं कीड़ों की समय - समय से रोकथाम करनी चाहिए।
• नीचली भूमियों में जहां 50 सेंमी या उससे अधिक पानी भरा रहता है में धान की फसल के साथ घासखोर ( Phytophagous ) मछलियों को पालना चाहिए जिससे कि जलीय खरपतवारों को आसानी से नष्ट किया जा सके।
• धान की रोपाई के 20 से 25 दिन बाद खेतों में हाथ से निराई - गुड़ाई करनी चाहिए। इससे खरपतवारों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
उक्त IWM योजनाओं को अपनाकर सिंचित तथा रोहित धान की फसल में खरपतवारों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
( स ) गेहूं तथा जौ की फसल में IWM योजना अथवा रबी की फसल में IWM योजना
गेहूं तथा जौ की फसल में उगने वाले खरपतवार लगभग एक जैसे ही होते हैं। इनमें समन्वित खरपतवार नियंत्रण प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कार्यक्रम अपनाए जाने चाहिए :-
• अधिक संख्या में बीज बनाने वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए मिथ्या बीज शैया ( Stale seed bed ) तैयार करना चाहिए जिससे कि गेहूंसा, बथुआ आदि अंकुरण के बाद नष्ट हो जाएं।
• खरपतवार रहित बीजों से फसल की बुवाई करनी चाहिए।
• खरपतवार प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य से अधिक फसल बीज का प्रयोग करना चाहिए जिससे कि प्रारम्भ में ही खरपतवारों के पौधों को पनपने के लिए कम स्थान मिल सके।
• मृदा का सौर उपचार करना जिससे कि मृदा में विशेष संरचना रखने वाले खरपतवारों जैसे कि मोथा अथवा कांस को आसानी से नष्ट किया जा सके।
• धान - गेहूं पद्धति में फसल की बुवाई Zero - tillage अथवा FIRB विधि से करनी चाहिए ऐसा करने से दो पंक्तियों के बीच में बिना जुटी भूमि रह जाने के कारण खरपतवारों के बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं।
• गेहूं-सा प्रभावित क्षेत्रों में धान-गेहूं फसल पद्धति में एकांन्तरित वर्षों में गेहूं के स्थान पर बरसीम अथवा चारे वाली जई अथवा आलू की फसल लेने से गेहूं-सा का बीज नहीं बन पाता है जिसके कारण आगामी वर्षों में गेहूं-सा का प्रकोप कम हो जाता है।
• व्यापक स्तर पर खरपतवार नियंत्रण करने के लिए वृहत श्रंखला वाली ( Broad spectrum herbicide ) का स्प्रे जैसे कि Fenoxy prop के बाद 2, 4-D का स्प्रे करना चाहिए जिससे कि समस्त खरपतवार नष्ट हो जाएं।
• फसल में संतुलित पोषण देना चाहिए जिससे की फसल के पौधे खरपतवारों की अपेक्षा प्रतियोगिता में अधिक सरल बिंदु हो सके।
• फसल की बुवाई के 25 से 30 दिन बाद आवश्यकतानुसार खुरपी की सहायता से निराई - गुड़ाई करनी चाहिए जिससे कि खेत के सारे खरपतवार नष्ट हो सके।
• फसल में वालियां बनने के बाद भिन्न-भिन्न दिखने वाले अथवा नकलची खरपतवारों को निकालना ( Rocgging ) चाहिए जिससे कि आगामी फसल की बुवाई के लिए खरपतवार रहित बीज प्राप्त किये जा सकें।
• बीज के लिए उगाई गई फसल की भडाई पूर्व प्रेसर आदि की ठीक से सफाई करनी चाहिए जिससे कि बीज का खरपतवार से संक्रमण न हो सके।
( द ) गन्ना की फसल में IWM योजना
गन्ना की फसल प्रक्षेत्र फसलों में सर्वाधिक अवधि वाली फसल होती है। चूंकि फसल की बुवाई काफी दूर-दूर ( 90 सेंमी. ) की पंक्ति अंतरण पर की जाती है तथा फसल की शुरुआती वृद्धि धीमी होने के कारण गन्ना की फसल में यदि उचित खरपतवार नियंत्रण योजना नहीं अपनाई जाती है तो उपज में अति क्षति हो जाती है।
गन्ना की फसल में समन्वित खरपतवार के लिए निम्नलिखित योजनाएं अपनाई जानी चाहिए :-
• फसल की बुवाई के पहले खेतों में खुली गहरी जुताई कर देनी चाहिए ताकि काॅस अथवा मोथा जैसे खरपतवारों को आसानी से नष्ट किया जा सके।
• फसल की बुवाई के बाद पुवाल आदि से सतह पर पतवार लगानी चाहिए जिसके कारण प्रकाश के अभाव में खरपतवार पनप न सकें।
• फसल की बुवाई के 20 से 25 दिन बाद खेत में अंधी गुड़ाई ( Blind hoeing ) करनी चाहिए जिससे कि नये अंकुरित खरपतवार नष्ट हो जाए।
• फसल में मूंग अथवा उर्द अथवा लोबिया जैसे आच्छादन प्रदान करने वाली फसलों को अन्त: फसल ( Inter crop ) के रूप में उगाना चाहिए जिससे अधिकाधिक भूक्षेत्र घिरा रहने के कारण खरपतवारों के पौधों को पनपने का अवसर ही न मिल सके।
• पेन्द्रिमिथलीन 1.0 किग्रा. सक्रिय अवयव का अंकुरण पूर्व स्प्रे करके नव अंकुरित खरपतवारों को रोका जा सकता है।
• खेतों में खड़ी फसल को खरपतवारों के प्रकोप से बचाने के लिए 25 दिन के अंतराल पर 2 - 3 गुडाईयां करनी चाहिए जिससे की फसल को शुरू के 90 से 100 दिन तक खरपतवार रहित रखा जा सके।