हे Hay या सूखी घास क्या होती है पूरी जानकारी हिन्दी में
सूखी घास या हे ( Hay ) बनाने के क्या उद्देश्य है
अच्छे गुण वाली हे Hay के लिए आवश्यक बातें या अच्छी हे Hay की क्या विशेषताएं हैं
3. घासें मुलायम तथा स्वादिष्ट होनी चाहिए जिससे अच्छी हे बनाई जा सके।
4. घासें फफूंदी रहित होनी चाहिए।
5. घासों में एक भी प्रकार के खरपतवार नहीं होने चाहिए।
6. कटी हुई घासों को खेतों में उस समय तक सुखाना चाहिए जब तक कि उनमें 60 से 65% शुष्क पदार्थ न रह जाएं।
7. घास की पत्तियों का हरा रंग कभी भी समाप्त नहीं होना चाहिए। पत्तियों का हरा रंग उनमें उपस्थित कैरोटीन की अधिक मात्रा का सूचक होता है। कैरोटीन से ही ' विटामिन ए ' प्राप्त होता है।
8. संरक्षित की गई सूखी घास में पानी की मात्रा 15% से
अधिक नहीं होनी चाहिए।
9. तैयार की हुई हे में उस घास की सुगंध होनी चाहिए जिससे उसे तैयार किया गया हो।
10. घास को काटते, उठाते एवं सुखाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनकी हरी पत्तियां झड़ने न पायें।
11. सम्भवतः घासों को हे बनाने के लिए शीघ्रताशीघ्र सुखाना चाहिए जिससे उसमें उपस्थित पौष्टिक तत्वों की अधिक हानि न हो।
12. खेतों से उठाकर अर्द्ध सूखी घासों को लकड़ी के बने ढांचों पर उस समय तक सुखाना चाहिए जब तक कि उनमें 80 से 85% तक शुष्क पदार्थ न रह जाए।
अच्छी हे Hay के गुण ( पहचान या लक्षण )
1. हे का रंग हरा होता है। हरा रंग कैरोटीन की पुष्टि करता है।
2. हे में फफूंदी एवं मिट्टी नहीं होनी चाहिए।
3. हे में पत्तियां अधिक होनी चाहिए क्योंकि पत्तियां प्रोटीन एवं विटामिन का अच्छा स्त्रोत होती हैं।
4. हे को पुष्पयुक्त अवस्था पर ही बनाना चाहिए।
5. हे में एक भी प्रकार के खरपतवार नहीं होने चाहिए।
6. हे मुलायम होनी चाहिए।
7. हे में उस फसल की महक होनी चाहिए जिसके द्वारा इसे तैयार किया गया हो।
8. हे स्वादिष्ट होनी चाहिए।
9. हे का निर्माण देर से पकी हुई घासों से नहीं करना चाहिए।
10. हे का तना मोटा तथा कड़ा नहीं होना चाहिए।
हे Hay के प्रकार
1. फली वाली फसल की हे Hay
यह मटर, लोबिया, बरसीम, रिजका आदि फसलों द्वारा बनाई जाती है। यह उत्तम प्रकार का भोजन माना जाता है तथा इसमें निम्न गुण पाए जाते हैं -
1. इसमें पाचक तत्वों की मात्रा पाई जाती है।
2. पाच्य प्रोटीन भी अधिक मात्रा में अधिक पाई जाती है।
3. विटामिन A, D, E की मात्रा अच्छी पाई जाती है।
4. इसमें फास्फोरस कम मात्रा में तथा खनिज लवण व कैल्शियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
5. यह स्वादिष्ट एवं पाचक होती है।
6. यह पाचन प्रणाली पर अच्छा प्रभाव डालती है।
7. इसके द्वारा पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ता है।
8. फलीदार फसलों को आसानी से उगाया जा सकता है।
9. यह फसलें मृदा कटाव को भी रोकती हैं।
2. फली रहित फसलों की हें Hay
यह दूब घास, नेपियर घास, सूडान घास, ज्वार आदि फसलों से तैयार की जाती है। यह कम स्वादिष्ट होती है तथा पाचक भी कम होती है। इसमें खनिज लवण, विटामिन भी कम पाए जाते हैं।
3. मिश्रित हे Hay
यह दोनों प्रकार की फसलों से मिलकर बनाई जाती है जैसे - सूडान घास, जई और मटर, इसमें अच्छे गुण पाए जाते हैं।
4. अनाज वाली फसलों की हे Hay
जौ, जई, बाजरा, गेहूं आदि फसलों से " हे " तैयार की जाती है तथा फूल आते समय फसल को काटकर " हे " तैयार की जाती है। यह भी उत्तम प्रकार की " हे " होती है।
घास सुखाने ( हे बनाने ) की विभिन्न विधियां Methods of Hay making
1. तिगुडिया विधि Tripod Method
इस विधि में लम्बी तथा पतली तीन बल्लियों अथवा लोहे के पाइपों से एक तिगुड़िया सी बनाते हैं, जिनका ऊपरी भाग तीनों बल्लियों के सिरों से मिलकर नुकीला सा बनाया जाता है। यह सिरे तार, रस्सी अथव स्क्रू द्वारा एक-दूसरे से इस प्रकार जुड़े रहते हैं कि उनके मध्य भंडारित घास में वायु के यातायात के लिए कुछ रिक्त स्थान छूटा रहे।
![]() |
हे Hay या सूखी घास क्या होती है पूरी जानकारी हिन्दी में |
पृथ्वी पर इन तीनों बल्लियों के सिरे इस प्रकार रखे जाते हैं कि वे भूमि पर अपने मध्य समत्रिबाहु त्रिभुज बनावें। अब इस तिगुड़िया पर घास समान रूप से फैला दी जाती है। एक-सा सुखाने के लिए इसे कभी कभी बांस की सहायता से पलटना भी पड़ता है। खराब मौसम में घास की " हे " बनाने का यह अच्छा ढंग है।
2. फार्म बाड़ विधि Farm Fences Method
इस विधि के अंतर्गत फार्म के चारों ओर खिंचे हुए कांटेदार तारों अथवा चार दीवारों पर सुखाने वाली घासों, जैसे - लूसर्न, बरसीम या जई को फैला देते हैं, भंडारित करने से पूर्व इनको एक या दो बार पलट देते हैं, ताकि यह समान रूप से सूख सकें।
3. भू-तल विधि Ground Method
इस विधि में कटी हुई घास को या शुष्क भूमि पर 9 से 12 इंच की मोटी सतह में फैला देते हैं अथवा इस घास की कई छोटी-छोटी ढेरियां बना देते हैं, जिन्हें ' विन्ड्रोज Windrows ' कहते हैं। यह घास इस प्रकार धूप में सुखाई जाती है तथा समान रूप से सूखाने के लिए इसे एक-दो बार पलट भी दिया जाता है।
4. मकान अथवा पशुशाला की छत पर घास सुखाना
घास सुखाने की यह विधि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अधिक उपयुक्त है। इसमें पशुपालक अपने घरों की टीन की छत पर घास फैलाकर उसे सुखाते हैं। एक-दो बार पलटकर सूखने के बाद इसे पशुशाला में ही छत के नीचे लगी लकड़ी तथा टीन के बीच भंडारित किया जाता है।
5. शस्यागार शोषण विधि
यह घास सुखाने की कृत्रिम विधि है, इसमें फसलों को मशीनों द्वारा सिखाया जाता है। प्रथम 25% तक जल खेतों में सुखाया जाता है। फिर मशीनों द्वारा सुखाया जाता है। मशीन बिजली या तेल इंजन से चलाई जाती है, इस विधि में खर्चा अधिक होता है।
हे Hay बनाने में आने वाली बाधाएं
1. किसान अत्यधिक निर्धन होते हैं, किसान जरा सा भी धन फालतू व्यय नहीं कर सकते हैं।
2. किसानों के पास क्षेत्र कम होने से वे चारे वाली फसलें नहीं उगा पाते हैं।
3. घासें अधिकतर वर्षा ऋतु में पैदा होती हैं, परन्तु इस समय हे नहीं बनाया जा सकता है।
4. किसानों के पास सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं है।
5. किसान अशिक्षित होता है अतः उसे हे बनाने का ज्ञान नहीं है।
6. पशु भी अच्छी जाति के नहीं होते हैं।
हे Hay बनाने के लिए फसलों की कटाई करना
हे बनाने वाली फसलों को फूलते समय ही काट लेना चाहिए क्योंकि इस समय घासों में कैरोटीन, प्रोटीन, पाचक कार्बोहाइड्रेट तथा खनिज लवणों की मात्रा अधिक होती है। फसल को काटने का सबसे अच्छा समय वह है, जब सुबह ओस छूट चुकी हो, जिससे कटी हुई घासें जमीन पर फैल जाएं, तो वह समान रूप से सूख सकें। यह आवश्यक है कि हे को शीघ्रता के साथ एकत्र कर लेना चाहिए और इसको कभी भी धूप या वर्षा में खुला नहीं छोड़ना चाहिए।
हे Hay को सुखाना Curing of Hay
फसल को काटकर खेत में एक समान बिछा देना चाहिए और यह ध्यान रखना चाहिए कि उस समय खेत में ओस न हो। फसल के तनो को ' हे क्रशर ' की सहायता से पीस देना चाहिए। ऐसा करने से तनो में उपस्थित नमी शीघ्र दूर होती है तथा हे मुलायम बनती है। हे को जल्दी सुखाने तथा अच्छे गुड़ों वाली बनाने के लिए फसलों के खेत में रस्सियां लगाकर उस पर टांग देना चाहिए जबकि इनमें से 1/4 से 1/3 भाग की नमी निकल चुकी हो। इन फसलों को छोटे-छोटे ढेरों में एकत्रित करके सुखाया जा सकता है, जिनमें कि फसलों को ढीले प्रकार से एकत्रित करके रखा गया हो। इस विधि को शोष पंक्ति कहते हैं। जब मौसम इस प्रकार का होता है और हे धीरे-धीरे सूखती है, तो शोष पंक्तियों को ऊपर-नीचे बदल देना चाहिए जिससे कि फसल या घास जल्दी सूख जाए।
" हे " Hay बनाते समय पोषकों की हानि
हे को खेत में बनाते समय कुछ पोषक तत्वों की हानि सदैव हो जाती है, परंतु अनुकूल परिस्थितियों में यह हानि अधिक नहीं होती। हरी घासों को साधारण तापक्रम पर सुखाने में भी कुछ पोषकों की हानि होती है, जिसके कारण इस घास का पोषक मान कम हो जाता है। यदि हे को बिना किण्वन के तैयार किया जाए तो उसमें विटामिन की मात्रा अधिक होती है। हे बनाते समय पोषकों की हानि निम्नलिखित प्रकार से होती है :-
1. पत्तियों के झड़ने से हानि
फलीदार फसलों में पत्तियां गिरने से अधिक हानि होती है क्योंकि पत्तियों में पोषक तत्व अधिक पाए जाते हैं। इस प्रकार यदि पत्तियां अधिक गिरती हैं तो पाचक पोषक तत्वों की हानि हे बनाते समय अधिक होती है जिसके कारण हे को बहुत अधिक न सुखाया जाए तथा दिन की अधिक गर्मी में इसे एक स्थान से दूसरे स्थान को न ले जाया जाए।
2. विटामिन्स की हानि
हे को सुखाते समय पौधों का हरा पदार्थ जिसमें कैरोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है, नष्ट हो जाता है। यह कैरोटीन, विटामिन ए , को बनाने का काम करता है। इस प्रकार कैरोटीन के समाप्त होने के साथ-साथ हे में विटामिन की कमी हो जाती है।
3. किण्वन द्वारा हानि
किण्वन के समय हे में उपस्थित कार्बनिक पोषक तत्वों जैसे स्टार्च तथा शर्करा की अधिक हानि होती है। किण्वन के फलस्वरुप इन स्टार्च तथा शर्करा का ऑक्सीकरण होता है तथा बाद में कार्बन-डाई-ऑक्साइड तथा जल बनते हैं, जिनमें ऊर्जा की अधिक हानि होती है।
4. रिसाव द्वारा हानि
यदि खेत के अंदर हे लगभग तैयार हो चुकी है और उस समय यदि भारी वर्षा होती है तो रिसाव के कारण बहुत से पोषक तत्व पानी में बह जाते हैं। यह अवस्था अधिकतर उस समय होती है जब हे को खेत में ही तैयार किया जा रहा है।
ऊपर बताई गई हानियों को कम किया जा सकता है यदि ठीक परिस्थितियों में " हे " को बनाया जाए तथा फसल काटने में " हे " सुखाने में तथा " हे " को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में उचित प्रकार की सावधानियों को अपनाया जाए।
" हे " को भण्डारित करना Storage of Hay
खेत में सुखाई गई " हे " को ढीले बण्डलों में बांधकर एकत्र करना चाहिए। जब इसका संचय खलियान में किया जाता है तो यह ध्यान रखना आवश्यक है कि " हे " का वितरण एक समान किया जाए। यदि " हे " को बण्डलों में बांधकर रखा गया है तो यह अधिक सूखी अवस्था में होनी चाहिए अपेक्षाकृत जबकि इसको ढीली प्रकार से एकत्र किया गया है।
हवा में सुखाई हुई " हे " में प्रयोग के समय प्रायः जल की मात्रा 10 से 12 प्रतिशत होती है। यदि " हे " में जल की मात्रा 25% है तो लगभग 300 पौण्ड जल की मात्रा का वाष्पीकरण एक टन एकत्र की गई " हे " में से होना चाहिए।
भारतीय परिस्थितियों में " हे " का संचय ढेरों के रूप में किसी छायादार वृक्ष के नीचे या अन्य सुरक्षित स्थान पर किया जाता है।
" हे " Hay से होने वाले लाभ
1. " हे " साइलेज की अपेक्षा जल्दी एवं आसानी से तैयार की जा सकती है।
2. सूखे चारों में यह सबसे अच्छी होती है, क्योंकि इसमें पोषक तत्वों की अधिकता होती है।
3. चारों की कमी में इसे सुविधापूर्वक पशुओं को खिलाया जा सकता है।
4. " हे " बनाने में खर्च कम करना पड़ता है।
5. " हे " मुलायम एवं स्वादिष्ट होती है।
" हे " Hay में होने वाली कमियां
1. " हे " साइलेज की अपेक्षा कम पाचक एवं पौष्टिक होती है।
2. यह साइलेज की अपेक्षा कम स्वादिष्ट होती हैं। अतः पशु इसे कम पसंद करते हैं।
3. साइलेज बनाने की अपेक्षा " हे " बनाने में पोषक तत्वों की अधिक खानी होती है।
4. " हे " के खराब होने, सडनें, फफूंदी लगने एवं जल जाने की संभावना रहती है।
5. खराब मौसम में " हे " बनाना कठिन होता है।
हे hay बनाने के लिए घास को सुखाने के लिए आवश्यक बातें
1. घास पत्तीदार, खोखले एवं पतले तनो वाली होनी चाहिए।
2. सुखाई जाने वाली घास में 7 से 9% प्रोटीन तथा 0.5% कैल्शियम होना चाहिए।
3. भंडारित करने वाली घास में 15% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
4. जहां तक संभव हो घास को शीघ्रताशीघ्र सुखाना चाहिए। ऐसा करने से उसमें उपस्थित आवश्यक तत्व नष्ट नहीं होते हैं।
5. काटते, उठाते एवं सुखाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उसकी पत्तियां टूटकर ना गिरने पाएं।