भू-सर्वेक्षण क्या है इसकी परिभाषा, उद्देश्य और प्रकार
देश का प्रमुख व्यवसाय कृषि है, अतः देश की समृद्धि के लिए कृषि का उत्पादन बढ़ाना बहुत ही आवश्यक है। उत्पादन बढ़ाने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि कृषि की नई-नई उन्नत तकनीकों को अपनाया जाए और रूढ़िवादी परम्पराओं का त्याग किया जाए।
खेतों में खेती के लिए सिंचाई और नाली, मेंड आदि की सही स्थिति होने से ही सफलतापूर्वक कृषि कार्य किए जा सकते हैं। इसके लिए भूमि का सर्वेक्षण करना आवश्यक होता है। यह भू-मापन का ज्ञान केवल सर्वेक्षण की कला द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
इससे बटवारे की स्थिति में विभिन्न खेतों का क्षेत्रफल ज्ञात करना, पड़ोसियों से सीमा विवाद हल करने के लिए सीमाओं का निर्धारण करना तथा क्षेत्रीय विकास के लिए अमुक क्षेत्र का मानचित्र तैयार करने में सुविधा रहती है।
![]() |
भू-सर्वेक्षण क्या है इसके उद्देश्य और प्रकार लिखिए |
भू-सर्वेक्षण की परिभाषा ( definition of land surveying )
(1) भू-सर्वेक्षण वह क्रिया है, जिसके द्वारा भूमि पर स्थित सभी चीजों को नक्शे में उसी रूप व प्रकार में दिखाते हैं।(2) भूमि सर्वेक्षण नापने की वह कला है, जिसमें भू-स्थान पर स्थित सभी स्थानों की आपेक्षित स्थितियों में बिंदुओं की दूरी एवं इनके आकार को ज्ञात करते हैं और फिर उसे शुद्धतम नाप से कागज पर उसी रूप में प्रदर्शित करते हैं।
(3) भूमि के धरातल की दिशाओं को मानचित्र के रूप में प्रदर्शित करने वाली कला को भू-सर्वेक्षण कहते हैं।
(4) भू-मापन वह कला है, जिसके अंतर्गत क्षेत्रफल निकालना, किसी क्षेत्र का मापन करके उसकी सीमाएं निर्धारित करना, क्षेत्र का बंटवारा करना तथा क्षेत्र का मानचित्र तैयार करना आदि शामिल है।
(5) भू-सर्वेक्षण वह काला है, जिसके द्वारा भूमि की स्थिति को कागज के ऊपर अवलोकित किया जाता है।
भू-सर्वेक्षण के उद्देश्य अथवा महत्त्व ( Importance of land surveying )
भू-सर्वेक्षण के प्रमुख उद्देश्य अथवा महत्त्व निम्नलिखित हैं -(1) खेत का सही मानचित्र तैयार करना।
(2) खेतों की सही तरीके से सीमा निर्धारण का कार्य करना।
(3) कृषि कार्यों के अच्छे संचालन के लिए उपयुक्त खेतों का निर्माण करना।
(4) ढाल के अनुरूप फसलें उगाकर भू-क्षरण को कम करना।
(5) आसपास के सदस्यों की सीमा विवाद को सुलझाना।
(6) विभिन्न खेतों का क्षेत्रफल मालूम करना।
(7) भूमि की दक्षता का सही मूल्यांकन तथा उपयोग करना।
(8) सड़क, मेड़ तथा सिंचाई की नाली के लिए सही स्थान का चुनाव करना।
(9) क्षेत्र के विकास के लिए सही नियोजन करना।
(10) प्राकृतिक स्थल तथा अन्य भू-भाग के विकास के लिए।
(11) फार्म के उचित जल निकास के लिए।
सर्वेक्षण के प्रकार ( kinds of surveying )
भू-सर्वेक्षण को मुख्यत: दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है -(1) सैनिक सर्वेक्षण ( military surveying )
(2) धरातलीय सर्वेक्षण ( topographical surveying )
कृषि कार्य में धरातलीय सर्वेक्षण किया जाता है।
यंत्रों के आधार पर सर्वेक्षण के प्रकार ( Types of survey based on instruments )
यंत्रों के आधार पर सर्वेक्षण के 8 प्रकार हैं -
(1) चेन (जरीब) सर्वेक्षण ( chain surveying )
(2) प्लेन टेबिल सर्वेक्षण ( plain table surveying )
(3) कुतुबनुमा सर्वेक्षण ( prismatic compass surveying )
(4) फोटोग्राफिक सर्वेक्षण ( photographic surveying )
(5) हवाई सर्वेक्षण ( aerial surveying )
(6) टेकियोमैट्रिक सर्वेक्षण ( techeomatric surveying )
(7) थियोडोलाइट सर्वेक्षण ( theodolite surveying )
(8) लेविल सर्वेक्षण ( level surveying )
सर्वेक्षण के प्रमुख उपकरण ( Major Survey Tools )
1. चेन (जरीब)2. पटल
3. टेकियो
4. दिक् सूचक
5. फोटोग्राफिक
6. थियोडोलाइट
7. डम्पी लेविल
8. फीता
9. कीलें
10. लक्ष्य दण्ड
11. लम्ब दण्ड
12. खूँटियाँ
13. क्रॉस स्टाफ
14. दिक् सूचक सुई
15. ऑप्टिकल स्क्वायर आदि
चेन ( जरीब) सर्वेक्षण क्या है
भूमि मापने के लिए चेन ( जरीब ) सर्वेक्षण एक सबसे अच्छी एवं सरल विधि है। यह विधि सबसे सरल एवं सस्ती होने के कारण सभी लोग भूमि मापने के लिए इसी विधि का उपयोग करते हैं। खुले हुए खेतों जहां की जमीन अच्छी खुली हो अथवा खेत ऊबड़-खाबड़ न हो, वहां की जमीन नापने के लिए इसी विधि चेन ( जरीब ) सर्वेक्षण का उपयोग किया जाता है।
छोटे क्षेत्र का सर्वेक्षण अथवा छोटे खेतों को भी इससे आसानी से नापा जा सकता है। इससे दूरी को भी नापते हैं। चेन ( जरीब ) के द्वारा नापकर खेतों का क्षेत्रफल आसानी से ज्ञात किया जा सकता है। माल-विभाग के द्वारा यह विधि विशेषकर प्रयोग में लाई जाती है।
चेन ( जरीब ) सर्वेक्षण के आवश्यक उपकरण
1. जरीब Chain
2. फीता Tape
3. कीलें Arrows
4. लक्ष्य दण्ड Ranging rod
5. लम्ब दण्ड Offset rod
6. खूंटियां pegs
7. क्राॅश स्टाप cross staff
8. दिकसूचक सुई Magnetic compass
9. ऑप्टिकल स्क्वायर optical aquare
10. लट्ठा latha
11. क्षेत्र पुस्तिका Field book
जरीब ( Chain ) क्या है
जरीब ( Chain ) सर्वेक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह इस्पात के तार की कड़ियों के रूप में बनी होती है। इसके दोनों सिरों पर पीतल के हैंडल पकड़ने के लिए लगे होते हैं तथा इनमें रिंग लगी होती है। कड़ियों के जोड़ साधारणतया खुले रहते हैं, लेकिन अच्छी किस्म की चेन में यह खुले नहीं रहते हैं।
जरीब ( Chain ) को भूमि पर फैलाने के लिए इसके किनारों पर हैंडल लगे होते हैं, जिनको पकड़कर हम भूमि पर आसानी से जरीब ( Chain ) फैला सकते हैं। बाहरी तरफ का हैंडल शून्य या बिंदु या चेन के अंतिम भाग को बतलाता है। चेन की लंबाई पहले हैंडल के बाहरी सिरे से लेकर दूसरे हैंडल के बाहरी सिरे तक ही ली जाती है।
एक कड़ी की लंबाई कडी के दोनों तरफ लगी रिंग के मध्य ली जाती है। अंतिम कड़ी की लंबाई हैंडल के साथ ली जाती है। कड़ी का नंबर गिनने के लिए चेन के प्रत्येक सिरे से दस कड़ी पर पीतल का टैग लगा रहता है। यदि टैग में एक नुकीला भाग किसी भी तरफ हो, तो यह दस कड़ी या नब्बे बतलाता है। पचास कड़ी का टैग गोलाकार होता है।
भू-मापन करते समय क्षेत्र पुस्तिका में लिखने की विधि
भू-मापन करते समय क्षेत्र पुस्तिका में लिखने की विधि निम्नलिखित है -
1. क्षेत्र पुस्तिका में नीचे से ऊपर की ओर लिखते हैं।
2. बीच का कॉलम चेन पंक्ति मानकर इसको भिन्न-भिन्न दूरियों पर लिखना चाहिए।
3. इसके पृष्ठों पर प्रत्येक दो पृष्ठ के बाद नंबर देना चाहिए।
4. इस पर मकान, सड़क आदि प्रदर्शित करके ऑफसेट लेने के बाद दूरी लिख देनी चाहिए।
5. स्टेशन का नाम साफ अंकित करना चाहिए।
6. प्रत्येक चेन पंक्ति को अलग-अलग पृष्ठों पर लिखना चाहिए।
7. नाप करने के तुरंत बाद ही नाप को फील्ड बुक में लिख लेना चाहिए।
8. एक ही शब्द को दो बार बिल्कुल भी नहीं लिखना चाहिए।
9. लिखने के लिए अच्छी पेंसिल का उपयोग करना चाहिए।
चेन-सर्वेक्षण में आने वाली बाधाएं लिखिए
चेन-सर्वेक्षण में आने वाली बाधाएं निम्नलिखित हैं -
1. ढाल का मापन ( Measuring of slop )
ढालदार भूमियों को थोड़ा-थोड़ा करके नापा जाता है। ढाल की माप करने के लिए क्षैतिज दूरी ज्ञात की जाती है, अतः इसके लिए पहले थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छडें गाड दी जाती है। तब एक आदमी चेन को लेकर आगे जाता है और छड़ के पास में पहुंचकर जरीब को खींचकर पकड़े हुए सिरे को सीध में ले जाता है।
जरीब छड़ पर लंबवत् पढ़नी चाहिए। इसके बाद दूसरी छड़ की तरह बढ़ते हैं और पहली तथा दूसरी छड़ के मध्य की क्षैतिज दूरी पहले की तरह ज्ञात करते हैं। इस प्रकार पूरे ढाल की दूरी ज्ञात करने जाती है।
2. नदी की बाधा ( Obstacle of river )
चेन लाइन पर A और B दो बिंदु दोनों किनारों पर क्रमशः चुनते हैं। A से एक लम्ब AD डालते हैं और C बिंदु पर दो भागों में बांट देते हैं वहां से एक लंब DE डालते हैं। E बिंदु को C और B की सीध में निश्चित करते हैं। DE को नापते हैं। त्रिभुज ABC और त्रिभुज CED आपस में बराबर है इसलिए AB = DE
3. वृक्ष की बाधाएं ( Obstacle of trees )
सर्वेक्षण के दौरान यदि मार्ग में किसी बड़े वृक्ष द्वारा बाधा आ रही है, तो उसको निम्न प्रकार से हल कर सकते हैं।
![]() |
भू-सर्वेक्षण ( Land Surveying ) क्या है इसकी परिभाषा, उद्देश्य और प्रकार |
पेड़ के किनारे के दोनों ओर दो बिंदु चुन लेते हैं जैसे कि दिए हुए चित्र में पेड़ के दोनों किनारों पर अ, ब ऐसे बिंदु है जहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद अ, ब, से कुछ दूरी पर हटकर उसी सीध में हमने स, और द ऐसे बिंदु चुने जो अ, ब के साथ एक सरल लेखा बनाते हो।
स, अ तक लम्ब अ, प डाला। प बिंदु के पेड़ के किनारे से आगे चुना जाए। इसी प्रकार ब, द रेखा पर ब, फ लम्ब डाला और ब स्थान पर से स्थान की दूरी अ, प रेखा के बराबर काट ली। अब अ,फ को मिला दिया और प, फ के बीच की दूरी नाप ली। यह दूरी अ, ब स्थान पर मोटे पेड़ के बीच की दूरी होगी।
चेन ( जरीब ) से भूमि नापते समय होने वाली अशुद्धियां
चेन ( जरीब ) से भूमि नापते समय होने वाली अशुद्धियां निम्नलिखित है -
1. बार-बार तीर का स्थान से हट जाना।
2. फीते से शून्य बिंदु को ज्ञात न कर पाना।
3. चेन को गलत सिरे से पकड़ना।
4. नंबरों को गलत पुकारना।
5. चेन की लंबाई को अधिक जोड़ देना या भूल जाना।
6. फील्ड बुक में गलत लिख जाना।
चेन ( जरीब ) द्वारा सर्वेक्षण में बरतने वाली सावधानियां
चेन ( जरीब ) द्वारा सर्वेक्षण में बरतने वाली सावधानियां निम्नलिखित हैं -
1. दूरियों को सही-सही पढ़ना चाहिए।
2. नाप लेते समय चेन को ढीला नहीं रखना चाहिए। नहीं तो नाप गलत हो जाएगी।
3. नाप करने के लिए जितने भी यंत्रों की आवश्यकता होती है। उन यंत्रों की अच्छी प्रकार से जांच कर लेनी चाहिए।
4. क्षेत्र-पुस्तिका से सही ढंग से प्रविष्टियां करनी चाहिए।
5. तीरों को सावधानीपूर्वक एकत्रित करना चाहिए ताकि मापन में गलती बिल्कुल भी न हो।
6. एक लक्ष्य दण्ड से अन्य लक्ष्य दण्ड की ओर सीधे जाना चाहिए, इसके लिए प्रशिक्षित चेनमेन की सहायता लेनी चाहिए।
चेन ( जरीब ) सर्वेक्षण से मिलते-जुलते कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. चेन ( जरीब ) द्वारा भू-मापन के गुण लिखिए?
उत्तर - चेन ( जरीब ) द्वारा भू-मापन के गुण निम्नलिखित हैं -
1. इसके लिए कम संख्या में उपकरणों की आवश्यकता होती है।
2. इसके कार्य में प्रयोग किए जाने वाले उपकरण बहुत ही सस्ते मूल्य में प्राप्त हो जाते हैं।
3. यह छोटे स्तर के कार्य स्तर के लिए सबसे अच्छी विधि
है।
प्रश्न 2. चेन ( जरीब ) द्वारा भू-मापन के दोष लिखिए?
उत्तर - चेन ( जरीब ) द्वारा भू-मापन के दोष निम्नलिखित हैं -
1. भू-मापन करते समय यदि सामने खाई, वृक्ष या नदी आदि आ जाते हैं, तो सर्वेक्षण करने में बहुत कठिनाई होती है।
2. ढाल दार क्षेत्रों के लिए यह विधि बहुत ही खराब विधि है। क्योंकि ढालदार भूमियों का सर्वेक्षण करने में बहुत कठिनाईयां आती है।
प्रश्न 3. चेन ( जरीब ) के दोष लिखिए?
उत्तर - चेन ( जरीब ) में दो प्रकार के दोष पाए जाते हैं -
1. छति पूर्ति त्रुटि ( Compensating error )
2. संचित त्रुटि ( Cumulative error )
चेन ( जरीब ) में मुख्य रूप से निम्नलिखित दोष हो सकते है -
1. चेन की लंबाई का सही न होना।
2. चेन या टेप का पड़ी लाइन में न होना।
3. चेन का असली लाइन के सीध में न होना।
4. चेन का टेप न रहना।
5. चेन के खिंचाव में अंतर का होना।
6. चेन को ठीक से न पकड़ना।
7. ताप के कारण चेन की लंबाई का बढ़ जाना।
प्रश्न 4. चेन सर्वेक्षण का सिद्धांत ( Principales of chain surveying ) लिखिए?
उत्तर - चेन सर्वेक्षण का सिद्धांत ( Principales of chain surveying ) :- चेन सर्वेक्षण के सिद्धांत के अनुसार क्षेत्रों को त्रिभुजों के आकार में विभाजित किया जाता है, जिससे कि उसकी सभी भुजाओं को नाप कर इसको आसानी से कागज पर बनाया जा सके। इसके कोंणों को जानने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती है।
प्रश्न 5. भू सर्वेक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर - भूमि की स्थिति को कागज के ऊपर अवलोकित करने की कला को भू सर्वेक्षण कहा जाता है।
प्रश्न 6. इंजीनियर्स चेन की लंबाई कितने फीट होती है एवं चेन में कितनी कड़ियां होती है?
उत्तर - इंजीनियर्स चेन की लंबाई 100 फीट होती है एवं चेन में 100 कड़ियां होती है?