कर्तन या कलम कैसे लगाते है
यह पौधों के प्रसारण की ऐसी विधि है, जिसमें पौधों के भागों जैसे - जड़, तना या पत्ती को पौधे से अलग करके उपयुक्त वातावरण में लगा दिया जाता है, जिससे वह नये पौधों को जन्म दे सके।
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कर्तन या कलम लगाना cutting |
पेंसिल के बराबर मोटी 15 से 22 सेंटीमीटर लंबी कलम पेड़ की पकी हुई स्वस्थ शाखा से लेना चाहिए। कलम काटते समय ध्यान रखना चाहिए कि ऊपर का सिरा ढलवॉ व साफ काटा जाए।
नीचे का सिरा सीधा या ढलवां काटा जा सकता है। नीचे वाले सिरे के ठीक ऊपर कलिका या आंख (Bud) अवश्य होनी चाहिए। कलम का 2/3 भाग तिरछा करके (45°कोण) ऐसी मिट्टी में दबाना चाहिए, जिसमें बालू का अंश अधिक हो।
कटा हुआ भाग नीचे की तरफ हो तथा दक्षिण की ओर कलम मुंह किए हो। कलम को वर्षा ऋतु या फरवरी-मार्च में लगाना चाहिए।
कलम के प्रकार ( Kinds of Cutting )
(अ) जड़ कर्तन ( Root Cutting )
भूस्तारी (Suckers) पैदा करने वाले पौधे जड़ कर्तनो द्वारा ही उत्पन्न किए जा सकते हैं। जैसे - सेब, अमरूद, नाशपाती आदि।
(ब) तना कलम ( stem cutting )
पौधे के तने या शाखाओं से जो कर्तने तैयार करके लगाई जाती है, उन्हें तना कलम के नाम से पुकारते हैं।लकड़ी की परिपक्वता के आधार पर तना कलम (कर्तन) तीन प्रकार के होते हैं -
(1) कड़ी लकड़ी से बनी कर्तने ( 1 वर्ष से अधिक उम्र वाली ) पतझड़ी वृक्ष व बोगनविलिया।
(2) मध्यम कडी लकड़ी से बनी कर्तने (एक मौसम पुरानी) अनार, अंजीर, नाशपाती, गुलाब।
(3) मुलायम या कोमल लकड़ी से बनी कर्तने ( मुलायम बढ़ने वाले भाग ) अमरुद, क्राईसेन्थियम।
कलम लगाते समय ध्यान देने योग्य बातें
(1) कलम लगाते समय उचित माध्यम जैसे - रेत, वर्माक्युलाइट आदि का प्रयोग करना चाहिए।
(2) कलम नयी होना चाहिए, जिसकी कैम्बियम क्रियाशील अवस्था हो।
(3) कलम में चार से पांच कालिकाएं होना आवश्यक है।
(4) कलम की लंबाई 10 से 20 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
(5) कलम लगाते समय कम से कम 2 गांठें जमीन के अंदर तथा 2 गांठें जमीन के ऊपर होना चाहिए।
(6) कलम काटते समय रिनकेटियर का प्रयोग करना चाहिए।
(7) कलम के मोटाई पेंसिल के समान (0.5 सेंटीमीटर) की होनी चाहिए।
(8) कलम की सफलता के लिए बर्षाकालीन मौसम उपयुक्त रहता है।